"बाबा आप अकेले यहाँ क्यों बैठे हैं, चलिए आपको आपके घर छोड़ दूँ | "
बुजुर्ग बोले:
"बेटा जुग जुग जियो तुम्हारे माँ -बाप का समय बड़ा अच्छा जायेगा | और तुम्हारा समय तो बड़ा सुखमय होगा |"
"आप ज्योतिषी हैं क्या बाबा |"
हंसते हुय बाबा बोले - "समय ज्योतिषी बना देता हैं | गैरों के लिय जो इतनी चिंता रखे वह संस्कारी व्यक्ति दुखित कभी नही होता | " आशीष में दोनों हाथ उठ गये |
"मतलब बाबा ? मैं समझा नहीं | "
"मतलब बेटा मेरा समय आ गया | अपने माँ बाप के समय में मैं समझा नहीं कि मेरा भी एक न एक दिन तो यही समय आएगा | समझा होता तो ये समय ना आता |" नजरे धरती पर गड़ा दी कह |
.
सविता मिश्रा
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
सही संदेश देती लघु कथा बधाई आपको
समसामयिक समस्या पर आधारित लेखन ही सच्चे अर्थ मे लेखन होता है आप धन्य है !
कल आज और कल में विचरती सुन्दर सन्देश देती सफल लघुकथा
समय सब सिखा देता है. समय रहते न चेते तो हाथ रह जाता है सिर्फ पछतावा
बहुत बधाई इस प्रस्तुति पर आदरणीया सविता जी
सच कहा..समय ही है जो सब कुछ सिखा देता है. बहुत बढ़िया सन्देश, आदरणीया सविता जी. हार्दिक बधाई
सादर आभार आपका पाण्डेय भैया
आदरणीया सविता जी, सुन्दर कथा.
भविष्य के द्वार भूतकाल के गर्त में होते हैं. समझ आते आते वर्तमान खिसकता जाता है और हम अपने आप को कोसने के अलावे ज्यादा नहीं कर सकते और दूसरो को सुधरने की सलाह भर देते हैं..
सादर.
आभार आप सभी का
सविता जी! भारतीय नैतिक मूल्यों को पुष्ट करने वाली रचना के लिये सहृदय बधाई... सादर!!
''समय ज्योतिषी बना देता हैं'' सुन्दर लघुकथा हार्दिक बधाई आदरणीया सविता मिश्रा जी!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online