For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गाँव में एक नयी बीमारी का प्रकोप फैला और लगातार कुछ बच्चों की मौत हो गयी । एक तरफ जहाँ लोग भयभीत थे वहीँ दूसरी तरफ ठाकुर के चेहरे पर मुस्कान खिल उठी ।
अगले दिन उसके कोठी के पास अपनी कोठरी में रहने वाली अकेली विधवा को लोगों के हुजूम ने डायन कह कर गाँव से बाहर खदेड़ दिया ।
बच्चों की मौत का सिलसिला तो नहीं रुका लेकिन वो ज़मीन अब ठाकुर की थी ।
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 569

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on May 28, 2015 at 6:08pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जितेन्द्र पस्टारिया जी.

Comment by विनय कुमार on May 28, 2015 at 6:07pm

जी , बिलकुल सही कह रहे हैं आप आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी | ठाकुर तो सिर्फ प्रतीक है ऐसे लोगों का | बहुत बहुत आभार..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on May 28, 2015 at 10:37am

वाह! आदरणीय विनय जी. अक्सर प्रॉपर्टी के लिए यह हथकंडे अपनाना आम बात रही है. लघुकथा पर आपको बधाई


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 28, 2015 at 10:14am

ये ठाकुर अब किसी जाति विशेष के प्रतिनिधि नहीं रह गये हैं. कल के शोषित किन्तु आज के नव-धनाढ्य भी उसी अश्लीलता से शक्ति-सामर्थ्य और सामंतवादी प्रदर्शन में लगे हैं.

प्रस्तुत लघुकथा के लिए शुभकामनाएँ.

Comment by विनय कुमार on May 27, 2015 at 2:57pm

बिलकुल सही कहा आपने आदरणीय शुभ्रांशु पाण्डेय जी , बहुत बहुत आभार..

Comment by Shubhranshu Pandey on May 27, 2015 at 2:20pm

आदरणीय विनय जी,

जमीन हथियाने वाले गांव ही नहीं शहरों में भी होते है. परिस्थियों के अनुसार तरीका बदल जाता है. सुन्दर कथा. 

सादर.

Comment by विनय कुमार on May 24, 2015 at 10:32pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया कान्ता रॉय जी । बिलकुल सच कह रही हैं आप , सादर आभार..

Comment by विनय कुमार on May 24, 2015 at 10:30pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय रवि प्रभाकर जी । आप जैसे सिद्धहस्त लघुकथाकार से प्रसंसा मिलना बहुत बड़ी बात है । आगे भी मार्गदर्शन करते रहिये.

Comment by kanta roy on May 24, 2015 at 7:21pm
चालें चलना सदा से ठाकूरों जमींदारों की परम्परा रही है । गरीबों को भूखमरी और अंधविश्वासों की कुऐं में ढकेलने वाली पूंजीपति आज भी सत्ता में रसूखदार बन कर बैठी है और हमने आजतक उनकी दास स्वीकार किये बैठे है । बेहतरीन रचना आदरणीय विनय कुमार सर जी
Comment by Ravi Prabhakar on May 24, 2015 at 4:52pm

चन्‍द पंक्‍ितयों में आपने ठाकुर की कुत्‍िसत मानसिकता की कलई खोल दी । अत्‍यंत प्रभावशाली व सारगर्भित लघुकथा हेतु आपको बहुत बहुत बधाई आदरणीय विनय भाई जी । लघुकथा विधा पर आपकी पकड़ बहुत प्रसन्‍न करती है । सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
6 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
9 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
10 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service