रात में धमाका हुआ , पूरा ट्रक उड़ गया , कोई नहीं बचा ।
सारी टोली अगले दिन टी वी पर चिपकी थी , अपने विजय का दृश्य और उसका असर देखने के लिए ।
उन समाचारों में बस उसी विस्फ़ोट की गूँज थी और सारे देश में उसी पर चर्चा हो रही थी । लेकिन फिर टी वी पर आये उस दृश्य को देखकर वो सब निशब्द रह गए जिसमे तीन साल की बच्ची विस्फोट में मृत अपने पिता के शरीर से लिपट कर रो रही थी ।
उसने कोई सवाल नहीं पूछा लेकिन उसके सवालों का उनके पास कोई ज़वाब नहीं था ।
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
लघु कथा एक तो लघु ही थी और दूसरा प्रभावी ...बधाई
बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी , आपके शब्द हौसला बढ़ा देते हैं ..
पंच लाइन भावुक कर गई लघु कथा अपना मर्म पाठक तक पँहुचाने में कामयाब है विनय कुमार भैया ,बहुत बहुत बधाई
आपकी उत्साहजनक प्रतिक्रिया बहुत प्रसन्नता देती है आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , सादर आभार.
बहुत बहुत आभार आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी आपके स्नेह भरे शब्दों के लिए.
उसने कोई सवाल नहीं पूछा लेकिन उसके सवालों का उनके पास कोई ज़वाब नहीं था ।
वाह ...... लाजवाब ! आ ०विनय जी ,
बहुत बहुत आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी .
क्या बात है .... बहुत उम्दा | बधाई आप को |
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