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अनुत्तरित प्रश्न ( लघुकथा )

रात में धमाका हुआ , पूरा ट्रक उड़ गया , कोई नहीं बचा ।
सारी टोली अगले दिन टी वी पर चिपकी थी , अपने विजय का दृश्य और उसका असर देखने के लिए ।
उन समाचारों में बस उसी विस्फ़ोट की गूँज थी और सारे देश में उसी पर चर्चा हो रही थी । लेकिन फिर टी वी पर आये उस दृश्य को देखकर वो सब निशब्द रह गए जिसमे तीन साल की बच्ची विस्फोट में मृत अपने पिता के शरीर से लिपट कर रो रही थी ।
उसने कोई सवाल नहीं पूछा लेकिन उसके सवालों का उनके पास कोई ज़वाब नहीं था ।
मौलिक एवम अप्रकाशित

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Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 9, 2015 at 7:43am

लघु कथा एक तो लघु ही थी और दूसरा प्रभावी ...बधाई 

Comment by विनय कुमार on June 8, 2015 at 5:51pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया राजेश कुमारी जी , आपके शब्द हौसला बढ़ा देते हैं ..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 8, 2015 at 5:01pm

पंच लाइन भावुक कर गई लघु कथा अपना मर्म पाठक तक पँहुचाने में कामयाब है विनय कुमार भैया ,बहुत बहुत बधाई 

Comment by विनय कुमार on June 8, 2015 at 3:53pm

आपकी उत्साहजनक प्रतिक्रिया बहुत प्रसन्नता देती है आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , सादर आभार.

Comment by विनय कुमार on June 8, 2015 at 3:51pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी आपके स्नेह भरे शब्दों के लिए.

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 8, 2015 at 2:41pm

उसने कोई सवाल नहीं पूछा लेकिन उसके सवालों का उनके पास कोई ज़वाब नहीं था ।

वाह ...... लाजवाब  !  आ ०विनय जी ,

Comment by maharshi tripathi on June 8, 2015 at 2:41pm
apni khusi ke liye...dusron ki khusi ujadne ki parampara ka bakhubi chitran kiya hai..aadarneeya vinaya sir ...aapko dheron badhai...
Comment by विनय कुमार on June 8, 2015 at 12:38pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी .

Comment by Shyam Narain Verma on June 8, 2015 at 11:35am
क्या बात है .... बहुत उम्दा | बधाई आप को 

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