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जो कहते थे उनको इशारा बहुत है
वो सुनते नहीं कुछ , पुकारा बहुत है
ऐ तन्हाई आ मेरी जानिब चली आ
कि यादों को तेरा सहारा बहुत है
तबीयत से इक फूँक भारो तो यारों
जलाने को दुनिया, शरारा बहुत है
ये मजहब का ठेका हटा लो यहाँ से
सुकूँ के लिये भाई चारा बहुत है
फलक बोस इमारत उन्हें हो मुबारक --- गगन चुम्बी
मुझे टूटी छ्त का सहारा बहुत है
ऐ साक़ी सुबू तू पिला दे किसी को
मुझे जाम आँखो का प्यारा बहुत है
तेरा शुक्रिया ग़म हमेशा कहूंगा
तपा के , रुला के , निखारा बहुत है
मुझे और खुशियाँ न देना ख़ुदाया
मुझे एक तेरा नज़ारा बहुत है
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय सौरभ भाई , आपके दिये , दिल से दाद , ने प्रसन्न क दिया , आपका बहुत शुक्रिया सराहना के लिये ।
आदरणीय मिथिलेश भाई , हौसला अफज़ाई का बेहद शुक्रिया ॥
वाहवा.. वाहवा .. दिल से दाद कुबूल कीजये आदरणीय
आदरणीय गिरिराज सर,
आपकी फिल बदीह ग़ज़ल का कमाल देख रहा हूँ
चकित हूँ आपकी ग़ज़ल पढ़कर
आपकी रगों में लहू की जगह पर अब बह्रें दौड़ने लगी है
WBC/RBC की जगह मुफाईलुन फाइलातुन ने ले लिया है
नमन आपको
आदानीय आशुतोष भाई , सराहना के लिये आपका बहुत शुक्रिया । प्रोफाइल फोटो मेरा छोटा बेटा फोटो शाप मे ख्द बनाया है , इस्लिये पुराना बदलना पड़ा भाई , फरमाइश थी ।
आदरनीय विजय भाई , हौसला अफज़ाई का बेहद शुक्रिया ॥
आदरणीय गिरिराज भाईसाब बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है ..प्रोफाइल फोटो के परिवर्तन ने मुझे चौंका दिया ..इस शानदार रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर
तेरा शुक्रिया ग़म हमेशा कहूंगा
तपा के , रुला के , निखारा बहुत है
बहुत ही सुन्दर, बधाई, आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, सादर।
आ. राहुल भाई , आपकी नज़रों का शुक्रिया आपने सही याद दिलाया , इंगित शे र मे रदीफ ही गलत है , उस शे र को मै वापस ले रहा हूँ । सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीय बड़े भाई विजय जी , आपकी उपस्थिति आनंद दायक है , सराहना के लिये आपका आभार ॥
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