For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" आज के बाद ये सब खेल मत खेलना " और उसने सारे गुड्डे , गुड़िया को उठा कर फेंक दिया । बेटी सहम गयी , कुछ महीने पहले मम्मी ने ही इतने प्यार से ख़रीदे थे उसके लिए !
अगले दिन वो खिलौनों में बाइक्स और कार के अलावा कुछ गन भी ले आई थी और तलाक़ के नोटिस का ज़वाब भी भिजवा दिया था ।


मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 749

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on June 28, 2015 at 2:44pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथलेश वामनकर जी , आपकी अनुपस्थिति खल रही थी आजकल.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on June 28, 2015 at 2:51am

प्रतीक अपनी बात कहने में सफल 

लघुकथा सफल 

बधाई आदरणीय विनय जी 

Comment by विनय कुमार on June 21, 2015 at 11:10pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी जी..

Comment by विनय कुमार on June 21, 2015 at 11:10pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय कृष्ण मिश्रा जान गोरखपुरी जी , आपके सुझाव का सहर्ष स्वागत है..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 21, 2015 at 12:57pm

आदरणीय विनय भाई , आपकी प्रतीकों मे कही बात पाठक तक पहुँच रही है ! हार्दिक बधाइयाँ , लघुकथा के लिये ।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 21, 2015 at 12:38pm

बहुत सुन्दर लघुकथा हुयी है आ० विनय सर..मुझे लगता है कि//और तलाक़ के नोटिस का ज़वाब भी भिजवा दिया था //यह और बेहतर तरीके से कहा जा सकता था!
!सादर!

Comment by विनय कुमार on June 19, 2015 at 10:53am

बहुत बहुत आभार आदरणीया अर्चना त्रिपाठीजी..

Comment by Archana Tripathi on June 19, 2015 at 2:52am
पत्नी ने अपना अस्तित्व भी जाता दिया और बेटी का भविष्य भी मजबूत कर दिया तलाक का नोटिस भेजकर।

नारी सशक्तिकरण पर उत्कृष्ट रचना ।हार्दिक बधाई विनय कुमार जी।
Comment by विनय कुमार on June 18, 2015 at 9:12pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी , एक महिला अपनी बेटी को मज़बूत बनाना चाहती है क्यूंकि दुनिया गुड्डे गुड़ियों का खेल नहीं है ( आसान नहीं है रहने के लिए )| उसके पति ने भी उसे खिलौना समझ , खेल कर फेंक दिया है ( तलाक़ का नोटिस भेज दिया है )| इसीलिए मैंने शीर्षक भी खिलौने रखा है , आशा करता हूँ अब शायद लघुकथा का भाव स्पष्ट हो जायेगा | सादर धन्यवाद आपका..

Comment by विनय कुमार on June 18, 2015 at 9:08pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय  डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , आपका प्रोत्साहन हमेशा हौसला देता है..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय नीलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुति में जान है. परन्तु, इसका फड़फड़ाना भी दीख रहा है हमें. यह मुझे एक…"
7 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय सौरभ भाई, ग़ज़ल पर चर्चा होती हैं तो सामान्यत: अरूज़ के दोष तक सीमित रह जाती हैं। मेरा मानना…"
37 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलकराज जी, मंच पर वाद-विवाद या अन्यथा बकवाद से परे एक दूसरे के कहे पर होती सार्थक चर्चा ही…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"व्याकरण की दृष्टि से कुछ विचार प्रस्तुत हैं। अकेले में घृणित उदगार भी करते रहे जो दुकाने खोल सबसे…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"अच्छी कहन है अजेय जी, शिल्प और मिसरो में रवानी और बेहतर हो सकती है। गिरह का शेर इस दृष्टि से…"
1 hour ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"अच्छी ग़ज़ल हुई है ऋचा जी। कुछ शेर चमकदार हैं, पर कुछ चमकने से रह गए। गिरह ठीक लगी है। /दुश्मन-ए-जाँ…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, बहुत सुंदर ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें। सादर।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गिरिराज भंडारी जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, आपकी टिप्पणी से कुछ बारीक बातें सीखने को मिली। आपकी सलाह के अनुसार ग़ज़ल…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय रिचा यादव जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय निलेश जी, नमस्कार। आपकी ग़ज़ल पर मैं सदा तारीफ करता रहा हूँ आज भी आपकी ग़ज़ल बहुत शानदार…"
2 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय गिरीराज जी  बहुत बहुत धन्यवाद आपका  सादर "
2 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service