“ये देखो विज्ञान आज कितनी तरक्की कर रहा है कितनी अद्दभुत मशीन बना डाली, पुरुष भी महसूस करके देख सकते हैं अब प्रसव वेदना को|" टाइम्स ऑफ़ इण्डिया में हेडिंग Chinese men get a taste of labor pain with a machine को पढ़ते हुए प्रोफ़ेसर बक्शी अपनी पत्नी से अचानक बोल उठे
”पापा क्या कभी कोई ऐसी मशीन भी बन पाएगी जो रेप के दर्द को भी पुरुष महसूस कर सकें” थोड़ी दूरी पर बैठी बेटी के अचानक इस प्रश्न ने पापा को अन्दर तक झिंझोड़ कर रख दिया बेटी के सिर पर हाथ फिराते हुए अपनी आँखों में आये आँसुओं को छुपाने के लिए अन्दर चले गए|
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
बहुत- बहुत शुक्रिया शिज्जू भैया.
आदरणीया राजेश दीदी मर्मस्पर्शी लघुकथा है बधाई आपको
आ० डॉ० विजय शंकर जी,लघु कथा के मर्म को महसूस कर अपने विचार रखने के लिए शुक्रिया .
बहुत बहुत आभार मिथिलेश भैया ,लघु कथा पर उपस्थिति और मर्म को महसूस कर दी गई प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक धन्यवाद |
मार्मिक लघुकथा जो इतना झिंझोड़ गई कि झटके से उबरना मुश्किल. सफल. उस यातना की सघनता को शाब्दिक करने में पूर्णतः सफल लघुकथा जिसे केवल महसूस किया जा सकता है. ये बातों बातों में कमाल हुआ है दीदी....
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