2122 212 2122 1212
सर फरोशों के लिए बंदिशे क्या हुदूद क्या
होंसलों के सामने आँधियों का वजूद क्या
बांटता सबको बराबर न रखता कोई हिसाब
इक समन्दर के लिए मूल क्या और सूद क्या
बूँद इक मोती बनी दूसरी ख़ाक में मिली
सिलसिला है जीस्त का बूद है क्या नबूद क्या
जिन चिरागों की जबीं पर लिखी हुई हो तीरगी
अर्श उनके वास्ते लाल, पीला, कबूद क्या
उस अदालत में खुदा की लिखे फेंसले सभी
हैं बराबर जुर्म सारे ठगी क्या रबूद क्या
दिल में जिनके प्यार का कोई मफ़्हूम ही नहीं
जुल्म कारों के लिए मिन्नतें क्या सुजूद क्या
रबूद =डकैती
हुदूद =सीमा
बूद ओ नबूद =होना या न होना
कबूद =नीला/आसमानी
सुजूद =सर झुकाकर प्रेयर करना
मफ़्हूम=भाव/भावना
Comment
हर्ष महाजन जी ,इस जर्रानवाजी का तहे दिल से शुक्रिया |आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ |
आ० मोहन सेठी जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई तहे दिल से शुक्रिया आपका.
आ० सुलभ अग्निहोत्री जी,आपका बहुत- बहुत शुक्रिया .अमूमन मैं इतने क्लिष्ट शब्द ग़ज़लों में लेती नहीं हूँ बस किसी आयोजन के तहत इन शब्दों को लेना पड़ा इसी लिए नीचे शब्दों के अर्थ भी दिए |आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरी मेहनत सफल हुई
आ० गिरिराज जी,आपका तहे दिल से आभार आपने सच कहा हम हिंदी भाषा वालों के लिए ये काफिया वाकई कठिन है अदबी साहित्यिक इस्स्लाही ग्रुप में ये एक चुनौती भरा काफिया दिया गया था जिसपर मैंने ये प्रयास किया |
आ० सुशील सरना जी,आपकी प्रतिक्रिया से अभिभूत हूँ तहे दिल से शुक्रिया मेरा लिखना सार्थक हुआ |
मिथिलेश भैया,शुक्रगुजार हूँ कि आपको ग़ज़ल पसंद आई
प्रतिभा पाण्डेय जी,आपका तहे दिल से आभार आपको ग़ज़ल पसंद आई.
आदरणीय rajesh kumari जी बेहद खूबसूरत ! उस से भी जियादा खूबसूरत कव्वाफी !! दिली दाद ...वसूल पाइयेगा !!
आदरणीया rajesh kumari जी बहुत सुंदर ....बधाई
सर फरोशों के लिए बंदिशे क्या हुदूद क्या
होंसलों के सामने आँधियों का वजूद क्या
बहुत सुन्दर है आदरणीया - लेकिन हम हिन्दी वालों के लिए बड़ी कठिन है, नीचे माने देखने में तारतम्य टूट जाता है।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online