For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भेड़िया, गिद्ध और कुत्ता

भेड़िए जैसे झपटते बच्चे

गिद्ध जैसे ताकते हुए

कुत्तों  की मानिंद

खाना छीनते हुए बच्चे

एक कूड़े के ढेर पर

मैंने देखे थे वो

भेड़िये ,गिद्ध और

कुत्ते जैसे बच्चे

इंसान का शेर या हाथी

जैसा होना सुहाता है

किन्तु भूख जब उसे भेड़िया,

गिद्ध या कुत्ता बना देती है

  और जब शिकार बचपन हो

तो आँखें शर्म से झुक जाती हैं

तब इस असमान बंटवारे पर

लज्जा आती है ,घृणा होती है

किसी ने तो खाना

बस फैंक दिया था

ज्यादा था उसके पास

या स्वाद नहीं था

या फिर  बस यूँ ही

और कुछ के पास

विकल्प ही नहीं है

खाने के ज्यादा या

बेस्वाद होने का

उनके लिए पेट में

धधकती आग एक प्रश्न है 

जिसे किसी भी तरह

बस बुझाया जाना है

फिर वह कूड़े में

पड़ी जूठन ही क्यों न हो

अबाध संवेदनहीन प्रचुरता

या कि अनवधि हीनता

दोनों ही मनुष्य को

भेड़िया, गिद्ध और

कुत्ता बना डालते है

मात्र सन्दर्भ अलग होते हैं I

                 

मौलिक व अप्रकाशित

 

 

Views: 859

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tanuja Upreti on August 13, 2015 at 11:06am

धन्यवाद मिथिलेश जी 

Comment by Tanuja Upreti on August 13, 2015 at 11:05am

आभार शिल्पी जी 

Comment by Shilpi Sinha on August 12, 2015 at 9:05pm
विचलित कर देने वाला सत्य

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 12, 2015 at 11:47am

आदरणीया तनूजा उप्रेती जी आपने बहुत मार्मिक रचना प्रस्तुत की है. ऐसे दृश्य भीतर तक हिला देते है किन्तु यही यथार्थ है. इस संवेदनशील प्रस्तुति हेतु धन्यवाद ...

Comment by Tanuja Upreti on August 12, 2015 at 11:35am

आभार गिरिराज जी ,आभार मैडम ,आभार लक्षमण जी 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 12, 2015 at 11:27am

इंसान का शेर या हाथी

जैसा होना सुहाता है

किन्तु भूख जब उसे भेड़िया,

गिद्ध या कुत्ता बना देती है

  और जब शिकार बचपन हो

तो आँखें शर्म से झुक जाती हैं

आ0 तनूजा जी, इस  मार्मिक प्रस्तुति  के लिये बहुत बहुत बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 12, 2015 at 8:00am

आदरणीया तनूजा जी , सत्य पर मार्मिक प्रस्तुति  के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 11, 2015 at 8:04pm

बहुत मार्मिक प्रस्तुति ..ये द्रश्य जो खुद मैंने देहली रेलवे स्टेशन पर देखा था एक चाय की दुकान के सामने डस्टबिन से निकाल कर बचाकुचा खाना खाते हुए बच्चों को ...सजीव हो उठा...अंत में ये पंक्तियाँ --

अबाध संवेदनहीन प्रचुरता

या कि अनवधि हीनता

दोनों ही मनुष्य को

भेड़िया, गिद्ध और

कुत्ता बना डालते है

मात्र सन्दर्भ अलग होते हैं I

          प्रस्तुति को ऊँचाई पर ले जाती हैं \बहुत बहुत बधाई प्रिय तनूजा जी ,इस प्रस्तुति पर |

Comment by Tanuja Upreti on August 11, 2015 at 3:31pm

आभार आनंद जी ,आभार प्रतिभा जी 

Comment by pratibha pande on August 11, 2015 at 3:11pm
संवेदनहीन प्रचुरता , क्या सही शब्द दिए हैं आपने इस 'मैं खाऊँ,और खाऊँ ,और बस खाते ही जाऊं' की बढ़ती हुई प्रवृति को बधाई आ०तनुजा जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
10 hours ago
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
yesterday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service