“तुम ऐसा नहीं कर सकते आकाश, तुम इस तरह मुझे धोखा नहीं दे सकते I”
“परी मैं तुम्हें धोखा नहीं दे रहा हूँ मैं तो उल्टे तुम्हें सच बता रहा हूँ I अगर मैं चाहता तो दोनों रिलेशंस बनाये रखकर तुम्हें आसानी से चीट कर सकता था पर मैंने ऐसा नहीं किया क्योंकि मैं झूठ में विश्वास नहीं करता I जब हमारे रिश्ते में कुछ बचा ही नहीं है तो फिर इसे घिसटने का कोई मतलब नहीं है कम से कम अब तुम मुझसे आज़ाद होकर अपने जीवन की नयी शुरुआत तो कर सकती हो वैसे भी अगर यह सब हमारी शादी के बाद होता तो तुम्हें अधिक दुख पहुँचता I”
“हमारे रिश्ते में अगर कुछ नहीं बचा है तो वह है तुम्हारा प्यार , वरना मैंने इस रिश्ते को निभाने में कभी कोई कमी नहीं रखी I तुम्हें मेरे दुख का अहसास तब होगा जब कोई तुम्हारी बहन के भी साथ ऐसा ही करेगा I”
"खबरदार परी ! अगर आइन्दा मेरी बहन के बारे में इस तरह से बात की तो... मैं भूल जाऊँगा कि मेरा कभी तुमसे कोई रिश्ता था और तुम्हें क्या लगता है मैं उस इंसान को छोड़ दूँगा उसका खून न कर दिया तो मैं भी अपने बाप की औलाद नहीं...."
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
धन्यवाद ओमप्रकाश जी ,धन्यवाद सौरभ जी
बहन को लेकर यह नपुंसक आक्रोश कापुरुषों का गुण है.
आदरणीया तनुजाजी, आपने भी रोचक ताना-बाना बुना है. वैसे यह विषयवस्तु अब बहुत नया नहीं रह गया है. इस प्रस्तुति केलिए शुभकामनाएँ.
प्रोतसाहन हेतु आभार. मिटहिलेश जी ,आभार तेज वीर जी,आभार जितेंद्र जी ,आभार सीमा जी
आदरणीया तनूजा जी, एक कटु सत्य को उद्घाटित करती लघुकथा की प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई
हार्दिक बधाई आदरणीय तनूजा उप्रेती जी!वर्तमान में समाज में इस तरह के प्यार की हवा खूब बह रही है!जब जी चाहे अपना रास्ता बदल लो!मेरे विचार से आज के माहौल में लडकियों को विशेष रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता है!बहुत सुन्दर लघुकथा!
सुंदर लघुकथा ,आदरणीया तनूजा जी. यह एक कटु सच्चाई है और इंसानी फितरत भी. प्रस्तुति पर आपको बहुत बहुत बधाई
वाह रे मर्द... दूसरे के सपने तार तार कर दिए और अपनी कल्पना मात्र से ये तेवर.... बहुत खूब ! शानदार प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनायें..
आप सभी का आभार
अच्छा ! जब अपने पे बात आई तो ऐसी तिलमिलाहट । बहुत खूबसूरत ताना बाना बुना है आपने आदरणीय तनुजा जी । सादर शुभकामनाएं
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