For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हम "पत्थर" भी पूजे जाते

आ जाते इक बार अगर जो
तुम हमको भी चूमे जाते।
कई शिलाएं देव हुई हैं
हम "पत्थर" भी पूजे जाते।।

राहों में बेजान पड़े हैं
अपनी गति को ढूंढ रहे हैं।
कभी इधर तो कभी उधर को
राहों में बस घूम रहे हैं।।

अपने सुर्ख गुलाबी वाले
मुझमें रंग जो भरके जाते।
कई शिलाएं देव हुई हैं
हम "पत्थर" भी पूजे जाते।।1।।

ये तन है पर प्राण नहीं है
सांस का कुछ भी पता नहीं है।
दिल तो है पर शांत बहुत है
जीवित हूँ यह एक भ्रान्ति है।

अमृत रस अधरों को देते
हम धड़कन तो पाये होते।
कई शिलाएं देव हुई हैं
हम "पत्थर" भी पूजे जाते।।2।।

यूँ तो गढ़ा गया घिस घिस कर
हाँ कुछ मलिन हुआ हूँ थककर।
बस अपनें मंदिर से अलग हूँ
निखरुँगा मैं तुझसे मिलकर।।

अपने मन मंदिर में हमको
दर थोड़ी सी देते जाते।
कई शिलाएं देव हुई हैं
हम "पत्थर" भी पूजे जाते।।3।।


मौलिक अप्रकाशित

Views: 667

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 27, 2016 at 1:38pm
आदरणीय रवि शुक्ल सर सादर प्रणाम
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on February 27, 2016 at 1:38pm
आदरणीय सुनील सर सादर धन्यवाद
Comment by shree suneel on August 28, 2015 at 11:51pm
इस सुन्दर रचना के लिए बधाईयाँ आपको आदरणीय पंकज जी.
Comment by Ravi Shukla on August 26, 2015 at 2:33pm

आरदणीय पंकज जी बहुत खूब सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 25, 2015 at 9:15pm
आदरणीय मिथिलेश सर और समर कबीर सर दोनोंलोगिन को सादर धन्यवाद; मैं धीरे धीरे आप लोगों द्वारा प्रदत्त ऊर्जा के सहारे बढ़ रह हूँ।।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 25, 2015 at 10:36am
आदरणीय भंडारी सर उत्साहवर्धन और सुझाव दोनों के लिए हार्दिक आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 25, 2015 at 10:26am

आदरणीय पंकज भाई , गीत रचना के लिये हार्दिक बधाई , गेयता और साधी जा सकती है थोड़े प्रयास से ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 23, 2015 at 11:02pm

आदरणीय पंकज जी, सुन्दर प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Samar kabeer on August 23, 2015 at 10:58pm
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी,आदाब,सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on August 23, 2015 at 11:27am
जी सादर गोपाल सर सादर प्रणाम।। ओबीओ पर इसी उद्देश्य से रचनाएँ भेजता हूँ कि कोई मेरी कमियों को पंक्ति दर पंक्ति बताता तो मैं सुधर कर पाता।।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
12 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
23 hours ago
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"संवेदनाहीन और क्रूरता का बखान भी कविता हो सकती है, पहली बार जाना !  औचित्य काव्य  / कविता…"
yesterday
Chetan Prakash commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"अच्छी ग़ज़ल हुई, भाई  आज़ी तमाम! लेकिन तीसरे शे'र के सानी का भाव  स्पष्ट  नहीं…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on surender insan's blog post जो समझता रहा कि है रब वो।
"आदरणीय सुरेद्र इन्सान जी, आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई।  मतला प्रभावी हुआ है. अलबत्ता,…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ जी आपके ज्ञान प्रकाश से मेरा सृजन समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी"
Wednesday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Wednesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 182 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल - सीसा टूटल रउआ पाछा // --सौरभ

२२ २२ २२ २२  आपन पहिले नाता पाछानाहक गइनीं उनका पाछा  का दइबा का आङन मीलल राहू-केतू आगा-पाछा  कवना…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"सुझावों को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सुशील सरना जी.  पहला पद अब सच में बेहतर हो…"
Wednesday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service