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बहुत सुन्दर
आभार कांता जी आपकी टिप्पणी बहुत उद्बोधित करती है..
बहुत खूब लिखा है आपने आदरणीया सीमा जी ,.....इस सार्थक लघुकथा के लिये बधाई स्वीकार करे ।
आदरणीय सीमा जी, बहुत सधा व तरारा तंज कसा है आपने अपनी लघुकथा के माध्यम से । आजकल तो सेवा भावना भी अर्थप्रधान बन कर रह गई है। इस कसी हुई लघुकथा के लिए आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं । कथा शीर्षक से लेकर अंतिम पंक्ित तक कसी हुई बनी है और इसकी पंच लाइन तकरीबन तकरीबन नाकआउट पंच में सफलतापूर्वक परिवर्तित हुई है। सादर शुभकामनाएं
आदरणीया सीमा जी बहुत ही बेहतरीन लघुकथा हुई है. शीर्षक को सार्थक करती इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई. सादर
काश ऐसी समर्पित भावना आजकल की सभी बहुओं के हृदय में हो तो परिवार ,में सुख शन्ति बनी रहेगी ,,इस सुन्दर संदेसात्मक कथा पर आपको बधाई आ. Seema singh जी |
आदरणीय Seema singh जी समाज की छुपी हुई ईर्ष्या सहज भाव से इस लेख के द्वारा बहुत ही उम्दा तरीके से उजागर कर गए आप...यही आम जीवन की कहानी है.....बहुत ही सुंदर पेशकश | बधाई | सादर !!
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