“अरे संभल कर मालती अपना ख्याल रख भई..” झुझलाहट पर काबू करते हुए काम्या ने कहा.
“मुझे दिखा नहीं और पैर उलझ गया मगर तुम चिंता ना करो, मैंने तीन बच्चों को जन्म दिया है,” मालती ने अपने पेट पर हाथ लगाते हुए कहा, “और इस तेरे वाले का भी ख्याल रख लूंगी.”
“हाँ खास ध्यान रखना तू, ये हमारे लिए बहुत जरुरी है.” काम्या ने कहा.
“हाँ मैं जानती हूँ.. ये तेरा बच्चा ही है”, मालती भावुक हो उठी.
“कुछ चाहिए हो तो बताना, मेरा नम्बर तो है ही तेरे पास”,काम्या ने कुछ नोट मालती को पकड़ाते हुए कहा.
“ईश्वर एक रास्ता बंद करता है तो दूसरा खोल देता है तू माँ ना बन सकी और मुझे माध्यम बना दिया तेरे बच्चे को दुनिया में लाने का, सच कहती हूँ अगर मेरे पति दुर्घटना में अपने पैर ना खो बैठे होते तो मैं तुझसे कोई आर्थिक मदद लिए बिना तेरे बच्चे को जन्म देती.. मालती ने कहा.
“तुझे किसने कहा कि मै माँ नहीं बन सकती” काम्या ने चौंक कर कहा.
“फिर ये सरोगेसी?” मालती चौंक पड़ी.
“अरे यार ये नौ महीने का बंधन तो मै जैसे तैसे सह भी लेती. मगर मैं अपने पति के काम में भी हाथ बटाती हूँ. उनकी कम्पनी का तो एक साल में करोड़ों का नुकसान हो जायेगा.. फिर तुझे तो सिर्फ पांच लाख देकर बच्चा मिल जायेगा और बच्चा भी हमारा ही है.. सौदा नफे का ही रहा ना..” काम्या ने आँख मार पूरा गणित समझाया.
मालती को अचानक लगा कि “पांच लाख में राजी हो उसने घाटे का सौदा तो नहीं कर लिया.”
मौलिक एवं अप्रकाशित
सीमा सिंह
कानपुर
Comment
बहुत करारी चोट .... बहुत सुंदर रचना ...
अच्छी लघुकथा के लिए दाद कुबूल करें आदरणीया सीमा जी
आदरणीया सीमा जी, अपने मर्म को सधे ढंग से अभिव्यक्त करती शानदार लघुकथा हेतु हार्दिक बधाई.
हार्दिक बधाई आदरणीय सीमा सिंह जी!
बहुत सुन्दर और सार्थक प्रस्तुति , बधाई आप को | सादर |
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online