For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हो ग़म तो शख़्स वो हँसता बहुत है (ग़ज़ल)

1222  1222  122

मेरा दिल प्यार का भूखा बहुत है

ये दरिया है,मगर प्यासा बहुत है

-

मुकद्दर ने हमें मारा बहुत है

ज़माने से मिला धोखा बहुत है

-

उठाएँ हम भला हथियार कैसे

वो दुश्मन है,मगर प्यारा बहुत है

-

छुपाने का हुनर क्या खूब ढूँढा

हो ग़म तो शख़्स वो हँसता बहुत है

-

डराओ मत उसे क़ानून से तुम

कि उसके जेब में पैसा बहुत है

-

यूँ कहने को सितारे साथ हैं "जय"

मगर वो चाँद भी तनहा बहुत है

(मौलिक व अप्रकाशित)

*

*

~जयनित~

Views: 742

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by जयनित कुमार मेहता on May 5, 2016 at 6:43pm
आप सब को बहुत-बहुत धन्यवाद।
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on September 29, 2015 at 12:24pm
वाह...बहुत बेहतरीन..हार्दिक बधाई।
Comment by Ravi Shukla on September 28, 2015 at 2:17pm

आदरणीय जयनितजी, अच्छी  ग़ज़ल कही है , बधाई स्वीकार करें ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 28, 2015 at 10:46am

आदरणीय जयनित भाई , बहुत अच्छी  ग़ज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on September 26, 2015 at 10:01am
अच्छे अश’आर हुए हैं। दाद कुबूल करें
Comment by जयनित कुमार मेहता on September 25, 2015 at 2:39pm

बहुत शुक्रिया, बड़ी मेहरबानी..

मेरे पोस्ट पे हुज़ूर आप सब आये..! ;-)

कृपया यूँ ही अपना स्नेह बनाये रखें..

Comment by gumnaam pithoragarhi on September 25, 2015 at 1:03pm

छुपाने का हुनर क्या खूब ढूँढा

हो ग़म तो शख़्स वो हँसता बहुत है

-

वाह आदरणीय जयनित भाई बहुत बढ़िया मुबारक़बाद कुबूल करें,,,,,,,,,, वाह भाई जी खूब ,,,,,

Comment by Shyam Narain Verma on September 25, 2015 at 11:41am
बहुत सुन्दर गजल।  ढेरों दाद कुबूल करें। सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 24, 2015 at 11:19pm
वाह आदरणीय जयनित भाई बहुत बढ़िया मुबारक़बाद कुबूल करें
Comment by जयनित कुमार मेहता on September 24, 2015 at 4:30pm

शुक्रिया आपका आदरणीय मिथिलेश जी..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

anwar suhail updated their profile
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Friday
ajay sharma shared a profile on Facebook
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Nov 30
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Nov 30
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Nov 30
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service