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तेरे खतों में रहा यूँ तो रंगो बू शामिल
मगर मज़ा ही कहाँ है अगर न तू शामिल
मुझे अधूरी किसी चीज़ की नहीं हाजत
मेरी हयात में हो जा तू हू ब हू शामिल
बिन आरज़ू भी कभी ज़िन्दगी कटी है कहीं
तू कर ले ज़िन्दगी में मेरी आरजू शामिल
किसी की याद भी तनहाइयों का दरमाँ है
किसी की याद की कर ले तू ज़ुस्तजू शामिल
झिझक नहीं , न जमाने से डर मेरे यारा
तू आ के सामने सब के हो रू ब रू शामिल
भुलाना इतना भी आसाँ नहीं है यादों को
है तेरी याद मेरे दिल के कू ब कू शामिल
असर दिखा के रहेगा ज़रूर इक दिन वो
तेरे लहू में अगर है मेरा लहू शामिल
सफर सफर सा लगा और रास्ता मंज़िल
मेरे सफर में हुआ आज खूब रू शामिल
मज़ा लड़ाई का आता नहीं है बेख़ुद से
मज़ा जो चाहो, करो खूब जंग जू शामिल
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
आदरणीय रवि भाई , गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिये आपका हार्दिक आभार ।
आदरणीय धर्मेन्द्र भाई , हौसला अफज़ाई का तहे दिल से शुक्रिया ।
आदरणीय बड़े भाई गोपाल जी , गज़ल की सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार ।
बहुत खूबसूरत ग़ज़ल! आपको बहुत-बहुत बधाई! सादर |
आदरणीय गिरिराज सर, बहुत ही शानदार ग़ज़ल हुई है. सबसे पहले तो ऐसे काफिये के साथ इस शानदार रदीफ़ के लिए हार्दिक बधाई .... इसने ग़ज़ल का मज़ा चौगुना कर दिया, मतला ने ही दिल लूट लिया जिस सहज ढंग से कथ्य का मर्म उभारकर आया है, मुग्ध हूँ. सभी अशआर एक से बढ़कर एक है लेकिन हासिल-ए-ग़ज़ल शेर बस कमाल है-
असर दिखा के रहेगा ज़रूर इक दिन वो
तेरे लहू में अगर है मेरा लहू शामिल
वाह वाह वाह ........दाद दाद दाद
आदरणीय गिरिराज जी
बहुत बहुत बधाई इस ग़ज़ल के लिये अब तो यह बहर सांसों में रच बस गई है और उस पर इस तरह की ग़़ज़ल पढते है तो आनंद और भी बढ जाता है । सादर ।
अच्छे अश’आर हुए हैं आदरणीय गिरिराज जी, दाद कुबूल करें
आदरनीय बड़े भाई गोपाल जी , गज़ल की सराहना के लिये आपका हृदय से आभारी हूँ ।
आ० अनुज , बेहतरीन गजल के लिए बधाई .
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