For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अब आँखों से ही बरसेंगे

अंबर से मेघ नहीं बरसे

अब आँखों से ही बरसेंगे

 

शोक है

मनी नहीं खुशियाँ

गाँव में इस बार

दशहरा पर

असमय गर्भ पात हुआ है

गिरा है गर्भ

धान्य का धरा पर

कृषक के समक्ष

संकट विशाल है

पड़ा फिर से  अकाल है

खाने के एक निवाले को

रमुआ  के बच्चे तरसेंगे

 

व्यवस्था बहुत  बीमार है

अकाल सरकारी त्योहार है

कमाने का खूब है

अवसर

बटेगी राहत की रेवड़ी

खा जाएँगे  नेता, अफसर

शहर के बड़े बंगलों में

कहकहे व्हिस्की में घुलेंगे

 

तीन साल की पुरानी धोती

चार साल की फटी साड़ी

अब एक साल और

चलेगी

पर भूख का इलाज कहाँ है

भंडार में अनाज कहाँ है

छह साल की  मुनियाँ

अपने पेट पर रख कर हाथ

मलेगी

टीवी पर चीखने वाले   

बिना मुद्दे के ही गरजेंगे

 

 

रमेशर छोड़ेगा अब गाँव

जाएगा दिल्ली, सूरत, गुड़गांव

शहर में  रखेगा पाँव 

जिंदा मांस खाने वालों से

नोचवाएगा

तब जाकर

दो जून की रोटी पाएगा ।

पीछे गाँव में बीबी, बच्चे

मनी ऑर्डर की राह  तकेंगे

पोस्ट मैन भी कमीशन लेगा

तब जाकर

चूल्हा जलेगा 

बाबा बादल की आशा में

आसमान को सतत तकेंगे

नीरज कुमार नीर / मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 605

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on October 28, 2015 at 2:48pm

आदरणीय नीरज जी ग्रामीण जीवन के यथार्थ को अपने बहुत ही मार्मिक ढंग से शाब्दिक किया है. प्रस्तुति अपने मर्म को अभिव्यक्त करने में और उद्देश्य में सफल है. सीधे दिल में उतरती है. इस प्रस्तुति पर आपको हार्दिक बधाई 

Comment by Neeraj Neer on October 27, 2015 at 10:15pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय जयनित जी ... 

Comment by Neeraj Neer on October 27, 2015 at 10:13pm

आपका हार्दिक आभार आदरणीय अजय जी 

Comment by जयनित कुमार मेहता on October 27, 2015 at 6:29pm
बिलकुल.. यथार्थ को प्रतिविम्बित किया है आपने यहाँ.. ढेरों बधाइयाँ आपको इन पंक्तियों के लिए..
Comment by Ajay Kumar Sharma on October 27, 2015 at 2:01pm

मार्मिक रचना है,अति सुन्दर वर्णन।बधाइयाँ।

Comment by Neeraj Neer on October 27, 2015 at 1:47pm

माननीय समर कबीर साहब आपके समर्थन से उत्साह बहुत बढ़ा .... बहुत बहुत शुक्रिया ...  

Comment by Neeraj Neer on October 27, 2015 at 1:46pm

आदरणीया प्रतिभा पांडे जी आपको कविता पसंद आई इससे लिखना सार्थक हुआ... हार्दिक आभार इस प्रोत्साहन हेतू ... 

Comment by Samar kabeer on October 26, 2015 at 11:34pm
जनाब नीरज कुमार "नीर" जी,आदाब,आपकी कविता सीधे दिल पर असर करती है,और आप अपने लेखन में कामयाब हैं,बधाई स्वीकार करें ।
Comment by pratibha pande on October 26, 2015 at 7:29pm

रमेशर छोड़ेगा अब गाँव

जाएगा दिल्ली, सूरत, गुड़गांव

शहर में  रखेगा पाँव 

जिंदा मांस खाने वालों से

नोचवाएगा........     व्यवस्था बदलने के नाम पर छलावे चलते रहेंगे ,बधाई इस  सार्थक नव गीत पर आपको आदरणीय नीरज जी 

Comment by Neeraj Neer on October 26, 2015 at 6:59pm

आपको कविता पसंद आई आपका बहुत आभार अदरणीया कांता जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार अच्छी घनाक्षरी रची है. गेयता के लिए अभी और…"
6 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्र को परिभाषित करती सुन्दर प्रस्तुतियाँ हैं…"
6 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी   दिखती  न  थाह  कहीं, राह  कहीं  और  कोई,…"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  रचना की प्रशंसा  के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार|"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी,  घनाक्षरी के विधान  एवं चित्र के अनुरूप हैं चारों पंक्तियाँ| …"
7 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी //नदियों का भिन्न रंग, बहने का भिन्न ढंग, एक शांत एक तेज, दोनों में खो…"
8 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मैं प्रथम तू बाद में,वाद और विवाद में,क्या धरा कुछ  सोचिए,मीन मेख भाव में धार जल की शांत है,या…"
9 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रोक्त भाव सहित मनहरण घनाक्षरी छंद प्रिय की मनुहार थी, धरा ने श्रृंगार किया, उतरा मधुमास जो,…"
17 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++ कुंभ उनको जाना है, पुन्य जिनको पाना है, लाखों पहुँचे प्रयाग,…"
20 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक , पोस्ट कुछ देर बाद  स्वतः  डिलीट क्यों हो रहा है |"
20 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . जीत - हार

दोहा सप्तक. . . जीत -हार माना जीवन को नहीं, अच्छी लगती हार । संग जीत के हार से, जीवन का शृंगार…See More
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 164 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में आपका हार्दिक स्वागत है "
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service