ओढ़नी ओढ़ कर मैं पिया प्रेम की
प्रार्थना कर रही, चाँद वरदान दे
मन महकता रहे प्रीत की गंध से
दो हृदय एक हों प्रेम के बंध से
प्रीत अक्षय सदा भाग्य अनुपम मिले
जिस्म दो हैं मगर एक ही जान दे...
ओढ़नी ओढ़ कर...
मैं पिया के हृदय में सदा ही रहूँ
वो ही सागर मेरे, मैं नदी सी बहूँ
चाँद, हर इक नज़र से बचाना उन्हें
दीर्घ आयु सदा मान-सम्मान दे
ओढ़नी ओढ़ कर...
मेंहदी हाथ में रच महकती रहे
और लाली महावर की सजती रहे
सोलहों ही सदा मेरे शृंगार हों
चाँद आँचल में मुझको यही दान दे
ओढ़नी ओढ़ कर...
हों अँधेरे जहाँ, दीप बन वो जलें
धर्म की राह पर वो सदा ही चलें
धैर्य आधार हो ज़िंदगी में सदा
चाँद उनको सदा नव्य उत्थान दे
ओढ़नी ओढ़ कर...
छिप रहा बादलों में भला क्यों बता?
रूप अपना दिखा, अब मुझे मत सता
थाल पूजा का ले याचना कर रही
नेह उद्गार हैं सब इन्हें प्राण दे
ओढ़नी ओढ़ कर..
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
आ० मिथिलेश जी
आपने इस गीत के बोलों को अपने स्वर में गया और घर पर सुनाया ...वाह!
और मैं आज तक धुन ही तय नहीं कर पा रही :((( हर गाना भजन बन जाता है मेरे स्वर में ...हाहाहा
भाई जी कोई सुन्दर सी लय बने तो अपने स्वर में इस गीत को ज़रूर पोस्ट कीजियेगा...मैं वही धुन अपना लूंगी :))
आपका सुझाव सर्वदा उचित है ............ ओढ़नी ओढ़कर करने से माधुर्य बढ़ रहा है
धन्यवाद
एक निवेदन -
ओढ़ कर ओढ़नी मैं पिया प्रेम की---- में ओढ़कर और ओढ़नी का क्रम बदलकर गाने में अधिक आनंद आया--- ओढ़नी ओढ़ कर मैं पिया प्रेम की
आदरणीया डॉ प्राची जी, बहुत प्यारा गीत हुआ है, कल देर रात तक इसे घर में गाकर सुनाता रहा. प्रतिक्रिया नहीं कर पाया. उत्कृष्ट गीत हुआ है, फायलुन x 4 की अलग अलग लय में इसे गाया तो बहुत ही आनंद का माहौल बन गया. इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक आभार
बधाई क्या कहूं ...नमन इस प्रस्तुति पर
करवाचौथ के अवसर पर चाँद को संबोधित करते इस गीत के अनुमोदन के लिए सादर धन्यवाद आ० अजय कुमार जी, आ० डॉ० आशुतोष मिश्र जी, आ० सुशिल सरना जी, आ० डॉ० गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी
इस मनसाभिराम कविता के लिया आपको बधाई . प्रीत के स्थान प्रीति उपयुक्त होगा , सदर .
छिप रहा बादलों में भला क्यों बता?
रूप अपना दिखा, अब मुझे मत सता
थाल पूजा का ले याचना कर रही
नेह उद्गार हैं सब इन्हें प्राण दे
ओढ़ कर..
वाह आदरणीया प्राची सिंह जी करवाचौथ के अवसर पर भावों की बहुत ही सुंदर प्रस्तुति हुई है। सरस,सरल और प्रवाहमयी इस सुंदर प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें।
आदरनीय करवा चौथ के अवसर पर लिखी गयी इस शानदार रचना के इए हार्दिक बधाई सादर
प्राची मैम आज करवा चौथ के दिन आपकी यह सारगर्भित रचना अद्भुत है। आज के पावन पर्व का सजीव चित्रण करती अति सुंदर रचना।
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