For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज़ाद देश के ग़ुलाम(लघुकथा)

मोहन कुमार आज एक शराबखाने के एक अलग-थलग कोने में बैठा था।मेज पर सामने एक बोतल शराब के साथ।जिस शराब को वह पीने की ज़बरदस्ती कोशिश कर रहा था,उसे शायद ही कभी पीया हो।एक हल्का सा ज़ाम बमुश्किल गले से उतार पाया।हल्के नशे में उसे अपने ज़िन्दगी का फ्लैशबैक नज़र आने लगा-
कॉलेज से पहले पत्रकारिता के प्रति रूचि..
इंटरमीडिएट के दौरान ही जाने माने टीवी पत्रकार को अपना आदर्श मान लेना...
अपनी रूचि के अनुरूप पत्रकारिता के उच्च कोर्स में प्रवेश लेना....
अपने आदर्श पत्रकार से मिलना...
उस पत्रकार द्वारा कॉलेज में विशेष भाषण के दौरान पत्रकारिता को लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ बताते हुए इसे देश, समाज और मानवता का सच्चा सेवक घोषित करना...
अपने आदर्श व्यक्तित्व से प्रेरित हो पूरी निष्ठा और मनोयोग से मेहनत कर पत्रकारिता में अव्वल दर्ज़े से डिग्री हासिल करना...
अपने पत्रकारिता के सेवा रूपी व्यवसाय की अपने आदर्श व्यक्तित्व के साथ शुरुआत करना...
पत्रकारिता में एक ज़बरदस्त मुकाम हासिल कर मोहन कुमार से मोहन कुमार 'सेवक' के तौर पर प्रसिद्धि पाना...
और.....वह एक ज़बरदस्त न्यूज़ स्टोरी तैयार करना जिसमें राज्य के कैबिनेट मंत्री और एक बड़े पत्रकार महोदय गबन एवम् सांठ-गाँठ के मामले में उजागर हो रहे थे....
मोहन के कानों में अभी भी गूंज रहे थे अपने आदर्श व्यक्तित्व के ये शब्द,"बहुत बढ़िया स्टोरी है।इस स्टोरी से बहुत फ़ायदा होने वाला है।बस इसे ब्रॉडकास्ट करने की बजाय इसे दफ़न कर दिया जाए।आखिर उस पत्रकार के आगे हम कुछ भी नहीं हैं।वो बड़ा जुगाड़ू है और हम उस जैसो के प्यादे मात्र।ज्यादा सत्य के पुजारी बनने से गुज़ारा नहीं होता।मोटी रकम लो और चुप रहो और बने रहो हमेशा के लिए मोहन कुमार 'सेवक'।"

.

मौलिक एवम् अप्रकाशित

Views: 463

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on November 10, 2015 at 4:39pm
रचना पर उपस्थित हो,मेरे प्रयास को सार्थक बनाने एवम् मेरा उत्साहवर्धन करने के लिए हृदयतल से आभार एवम् दीपावली की शुभकामनाएं आदरणीय शेख सहज़ाद जी,आदरणीय तेजवीर सिंह जी,आदरणीय सर मिथिलेश वामनकर जी!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on November 10, 2015 at 1:53pm

आदरणीय सतविंदर जी बढ़िया प्रस्तुति हुई है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.

Comment by TEJ VEER SINGH on November 10, 2015 at 11:36am

हार्दिक बधाई आदरणीय सतविन्दर  जी !मीडिया की चकाचौंध के पीछे छिपी कलुसित और घिनौनी राजनीति को बयान करती खूबसूरत लघुकथा!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 10, 2015 at 11:21am
"जैसा देश", "वैसा भेष, अपना काम बनता, भाड़ में जाये जनता" -- पत्रकारिता जगत, मीडिया व फिल्म जगत में ऐसा ही हो रहा है, नेकव कर्मठ लोगों को दिग्भ्रमित किया जाता है। साहित्य जगत भी यदि नहीं सचेत हुआ तो देश व समाज का क्या होगा ? बहुत सुंदर सत्य कथ्य को सुंदर अनुपम कृति से प्रस्तुत करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ आपको आदरणीय सतविंदर कुमार जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service