कैच जिसके उछाला गया है , उसे लेने दो भाई
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बाल , नो बाल थी
इसलिये पूरे दम से मारा था शाट
मेरे बल्ले का शाट
थर्ड मैन सीमा रेखा के पार जाने के लिये था
अगर बाल लपक न ली जाती तो
अफसोस इस बात का नहीं है बाल लपक ली गई
दुख इस बात का है, कि
मेरे बहुत करीब खड़े , स्लिप और गली के फिल्डर दौड़ पड़े
ये जानते हुये भी , ये कैच उनका नही है
आपस मे टकराये , गिरे पड़े , घायल हुये
और उस कैच को लपक लिये , जो उनके लिये था ही नहीं
थर्ड मैन पर खड़ा फील्डर आसमान ताकते खड़ा रह गया
बिलकुल वैसे ही , जैसे
डाटे , फटकारे , गरियाय कोई अपने बच्चों को
अपने घर में
और लपक ले पड़ोसी , भाषा भिन्नता के कारण
लाल पीला हो जाये उस बेचारे पर
जिसका उद्देश्य अपने बच्चों को सही राह में लाना हो
जो कि उसकी ज़िम्मेदारी थी है
इसीलिये शायद ,
प्रतिक्रिया कहीं से आनी थी ,
आ कहीं और से रही है
कैच जिसके लिये उछाला गया है , उसे लेने दो भाई
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मौलिक एवँ अप्रकाशित
Comment
इस अच्छी रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय भाई गिरिराज जी।
आदरणीय गिरिराज सर, बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है. हार्दिक बधाई आपको
बहुत सुंदरता से बड़े भाई का फर्ज पूरा किया है भाई साहब एक अच्छी सीख देकर बहुत बहुत बधाई ।
क्या बात है अनुज कहाँ से उठाया और कहाँ गिराया तुसी ग्रेट हो भाया .
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