For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अतुकांत - कैच जिसके उछाला गया है , उसे लेने दो भाई ( गिरिराज भंडारी )

कैच जिसके उछाला गया है , उसे लेने दो भाई

*****************************************

बाल , नो बाल थी

इसलिये पूरे दम से मारा था शाट

मेरे बल्ले का शाट

थर्ड मैन सीमा रेखा के पार जाने के लिये था

अगर बाल लपक न ली जाती तो

 

अफसोस इस बात का नहीं है बाल लपक ली गई

दुख इस बात का है, कि

मेरे बहुत करीब खड़े , स्लिप और गली के फिल्डर दौड़ पड़े

ये जानते हुये भी , ये कैच उनका नही है

आपस मे टकराये , गिरे पड़े , घायल हुये

और उस कैच को लपक लिये , जो उनके लिये था ही नहीं

थर्ड मैन पर खड़ा फील्डर आसमान ताकते खड़ा रह गया

 

बिलकुल वैसे ही , जैसे

डाटे , फटकारे , गरियाय कोई अपने बच्चों को
अपने घर में

और लपक ले पड़ोसी , भाषा भिन्नता के कारण

लाल पीला हो जाये उस बेचारे पर

जिसका उद्देश्य अपने बच्चों को सही राह में लाना हो

जो कि उसकी ज़िम्मेदारी थी है

इसीलिये शायद ,

प्रतिक्रिया कहीं से आनी थी ,

आ कहीं और से रही है

 

कैच जिसके लिये उछाला गया है , उसे लेने दो भाई

************************************************

मौलिक एवँ अप्रकाशित

Views: 427

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on December 16, 2015 at 2:55pm

इस अच्छी रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय भाई गिरिराज जी।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 9, 2015 at 10:39pm
बेहतरीन समानता दर्शाई आपने।अपने भावों को पेश करने का ये अनोखा अंदाज़ है आपका।बहुत बहुत बधाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 9, 2015 at 4:11pm

आदरणीय गिरिराज सर, बहुत सुन्दर प्रस्तुति हुई है. हार्दिक बधाई आपको 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 8, 2015 at 11:21am

बहुत सुंदरता से बड़े भाई का फर्ज पूरा किया है भाई साहब एक अच्छी सीख देकर बहुत बहुत बधाई ।

Comment by Dr. Vijai Shanker on December 7, 2015 at 11:02pm
सुन्दर , बधाई , आदरणीय गिरिराज भंडारी जी , सादर।
Comment by Samar kabeer on December 7, 2015 at 10:41pm
जनाब गिरिराज भंडारी जी,आदाब,इस बार आपकी कविता में नए इस्तिआरे देखने को मिले,और आपका यह अंदाज़ भी पसंद आया ,बहुत ख़ूब,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 7, 2015 at 8:01pm

क्या बात है अनुज कहाँ से उठाया और कहाँ गिराया  तुसी ग्रेट हो भाया .

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 7, 2015 at 10:43am
बहुत बढ़िया प्रस्तुति आदरणीय गिरिराज भंडारी जी।बधाई! लगता है आगे भी कुछ कहना शेष है इस सच्ची रचना में !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
5 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
22 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"भारती का लाड़ला है वो भारत रखवाला है ! उत्तुंग हिमालय सा ऊँचा,  उड़ता ध्वज तिरंगा  वीर…"
Friday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"शुक्रिया आदरणीय चेतन जी इस हौसला अफ़ज़ाई के लिए तीसरे का सानी स्पष्ट करने की कोशिश जारी है ताज में…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service