2122 1122 1122 22
****************************
प्यार कहते हैं कि हर चाव बदल देता है
एक मरहम की तरह घाव बदल देता है /1
अश्क लेकर भी किसी को न तू रोते दिखना
कहकहा आँख का बरताव बदल देता है /2
झील ठहरी है बहुत वक्त से कंकड़ मारो
एक कंकड़ ही तो ठहराव बदल देता है /3
अजनवी सोच के यूँ दूर न बैठो हमसे
मिलना जुलना ही मनोभाव बदल देता है /4
माँ की ममता से मिली सीख ये हमको यारो
हर किसी पीर को सहलाव बदल देता है /5
काम आता न हो चाहे कि करो कोशिश कुछ
हर कमी रोज का दुहराव बदल देता है /6
22 दिसम्बर 2015
मौलिक व अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी ’मुसाफिर’
Comment
आ० भाई गोपाल नारायण जी .अपनी उपस्थिति से ग़ज़ल का मान बढ़ने के लिए हार्दिक धन्यवाद l
आ० भाई आशुतोष जी .स्नेह और ग़ज़ल को मन देने के लिए आभार l
माँ की ममता से मिली सीख ये हमको यारो
हर किसी पीर को सहलाव बदल देता है /5---------------बढ़िया गजल धामीजी
आदरणीय भाई लअक्ष्मण जी ..जीवन के अनुभवों को ग़ज़ल के माध्यम से क्या खूब साझा किया है आपने कमाल की प्रस्तुति ..ढेरो दाद क़ुबूल करें ,,सादर बधाई के साथ
aa0 bhai gumnam ji upasthiti ke liye hardik aabhar
अश्क लेकर भी किसी को न तू रोते दिखना
कहकहा आँख का बरताव बदल देता है
वाह खूब वाह भाई जी .....................
आ भाई नीलेश जी हार्दिक धन्यवाद
आ० भाई गिरिराज जी उपस्थिति और समझाईस के लिए हार्दिक धयवाद l
अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई
आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी गज़ल कही है , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।
एक मरहम की तरह घाव बदल देता है -- इस मिसरे की बाबत मै आदरनीय रवि भाई जी से सहमत हूँ , घाव बदल देता है , सही अर्थों मे उपयोग नही होरहा है ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online