"आज की रात वह बहुत ख़ुश था,कारण कि सुबह उसे नोकरी मिलने वाली थी,दो साल तक ठोकरें खाने के बाद एक दिन उसने समाचार पत्र में 'माइकल इंटरप्राइसेस' का विज्ञापन देखा,अर्ज़ी दी,इंटरव्यू कॉल आया और उसे इंटरव्यू में सिलेक्ट कर लिया गया,फ़र्म के मालिक मिस्टर माइकल उसकी क़ाबिलियत से बहुत मुतास्सिर हुए,उन्होंने कहा कल अपॉइंटमेंट लैटर मिल जाएगा ।
वह एक छोटे से शह्र का रहने वाला था और उसे बड़े शह्र में नोकरी की तलाश थी,गुज़र बसर के लिये बच्चों को ट्यूशन पढ़ाता था,किराए का एक कमरा उसे रहने के लिये मिल गया था ।
वह बिस्तर पर लेटकर भविष्य के सपने जागती आँखों से देखने लगा,उसके सीने में जज़्बात का तूफ़ान मौजें मार रहा था,वह सोच रहा था,कल सुबह मुझे नोकरी मिल जाएगी,अब दर दर भटकना नहीं पड़ेगा ,कुछ दिन बाद अपने परिवार को भी यहीं बुला लूँगा ,अब माँ का इलाज भी हो जाएगा,अब मेरी बहन की शादी में कोई रूकावट नहीं आएगी,यही सब सोचते सोचते कब उसकी नींद लग गई पता ही नहीं चला,सपने में भी शायद वो यही सब देख रहा था,उसके होठों पर मुस्कान थी ।
सुबह सूर्य की पहली किरन के साथ वह बिस्तर से उठ गया,ज़रूरी कामों से फ़ारिग़ होकर वह मोहल्ले के एक होटल की तरफ़ चल दिया,वह रोज़ाना इसी होटल में सुबह का नाश्ता करता था ,नाश्ते का आर्डर देने के बाद उसने क़रीब की टेबल पर रखा ताज़ा समाचार पत्र उठा लिया,मुख्य पृष्ठ पर नज़र डालते ही उसके पैरों तले ज़मीन खिसक गई,उसके दिमाग़ को झटका लगा,जैसे उस पर ज्वालामुखी फट पड़ा हो,वह बेहोश हो कर गिर गया,समाचार पत्र के मुख्य पृष्ठ पर जली हर्फ़ों में लिखा था :-
"कल रात माइकल इंटरप्राइसेस की बिल्डिंग में आग लग गई,जिसकी वजह से काफ़ी नुक़सान हुवा,इस घटना में फ़र्म के मालिक मिस्टर माइकल भी हलाक हो गए जो उसी बिल्डिंग में रहते थे" ।
"समर कबीर"
मौलिक/अप्रकाशित
Comment
हार्दिक बधाई आदरणीय समर क़बीर साहब जी!आपने एक बेहतरीन लघुकथा के माध्यम से इंसान की मेहनत को उसके भाग्य के मुक़ाबले खडा कर दिया!सुन्दर रचना!
इंसान क्या क्या सपने देखता है कर्म के साथ साथ किस्मत का भी होना बहुत जरूरी है ..बहुत अच्छी लघु कथा लिखी है आ० समर भाई जी ,अब हमे आपकी कलम और अच्छी अच्छी कहानियों से रूबरू करायेगी तहे दिल से बधाई लीजिये
अच्छे विषय का चयन किया और उसे खूबसूरती से लघु कथा में ढाला है आपने , बधाई स्वीकार करें इस रचना पर आदरणीय समर कबीर जी , सादर
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