For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पोजीटिव टाइम (लघुकथा) /शेख़ शहज़ाद उस्मानी

खिड़की से झांकते हुए बाहर का दृश्य आज पति-पत्नी दोनों को कुछ संतुष्टि दे रहा था। आज दोनों बच्चे स्वेच्छा से कुछ कर पा रहे थे।

" देखो, हम दोनों टीचर होते हुए भी बच्चों को कभी सकारात्मक समय नहीं देते ! उनको प्रकृति के समीप रहने दो, डांटना- फटकारना नहीं!"

"हां, सही कह रहे हैं आप! आज यहाँ पर उन्हें जानने दो कि कैसे पानी सींचते हैं? कैसे पलाश , गेंदे के फूल खिलकर यूँ झर जाते हैं! सूखे पत्तों का क्या हश्र होता है!"

"बांस कैसे पैदा होता है, ताड़ का पेड़ क्या होता है, यह भी जान लें"

"बंदर किस तरह प्यासे रह जाते हैं?... कैसे इन्सान जैसा व्यवहार करते हैं, और कैसे आत्मनिर्भर रहने वाले जीव अब इन्सान की मदद पर निर्भर हैं?

"हम नौकरी और घर-गृहस्थी में फंसे रहते हैं और हमारे बच्चे स्कूल, ट्यूशन, प्रोजेक्ट, असाइनमेन्ट या फिर क्रिकेट में, बस!"

"हाँ, बिलकुल सही कहा! हम तो सिर्फ उनके मार्क्स , प्रोग्रेस कार्ड देखकर ख़ुश हो लेते हैं!
प्रकृति और पर्यावरण का व्यवहारिक ज्ञान कहां मिल पाता उन्हें?"

"क़िताबी ज्ञान कितना बोझिल हो चुका है बच्चों पर!"

चर्चा करते हुए वे दोनों बच्चों के स्कूल बैग अगले दिन के लिए जमाने लगे।

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 458

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 6, 2016 at 6:09pm
अपने विचारों को साझा करते हुए स्नेहिल प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए हृदयतल से बहुत बहुत धन्यवाद जनाब समर कबीर साहब,आदरणीय तस्दीक़ अहमद ख़ान साहब, आदरणीय हरि प्रकाश दुबे जी व आदरणीय सतविंदर कुमार जी
Comment by Hari Prakash Dubey on February 2, 2016 at 1:24am

बहुत बढ़िया , वाकई बच्चों को अभिभावक वांछित समय नहीं दे पाते है, बधाई आपको आ. शेख़ शहज़ाद उस्मानी साहब ! सादर 

Comment by Samar kabeer on February 1, 2016 at 11:01pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,हमेशा की तरह ये लघुकथा भी दिल को छू गई,बहुत बधाई आपको !
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 1, 2016 at 9:05pm
हर बच्चे हर घर की कहानी।बेहद ही संजीदगी से उठाया आपने इस विषय को भी।बहुत बहुत बधाई आदरणीय शेख शहज़ाद जी।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on January 30, 2016 at 9:06pm

जनाब शेख शहज़ाद उस्मानी साहिब ,आपने लघु कथा में हर घर की हक़ीक़त बयां कर दी है। ... बेहतर प्रस्तुति के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
8 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
13 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद : रौनक  लौट बाजार आयी, जी   एस   टी  भरमार । वस्तुएं …"
13 hours ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम..."
20 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Monday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Oct 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
Oct 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service