1222 1222 1222 1222
**********************************
सदा सम्मान इकतरफा कहाँ तक फूल को दोगे
तिरस्कारों की हर गठरी कहाँ तक शूल को दोगे /1
उठेगी तो करेगी सिर से पाँवों तक बहुत गँदला
अगर तुम प्यार का कुछ जल नहीं पगधूल को दोगे /2
नदी आवारगी में नित उजाड़े खेत औ बस्ती
कहाँ तक दोष इसका भी कहो तुम कूल को दोगे /3
तुम्हारी सोच में फिरके उन्हें ही पोसते हो नित
सजा तसलीमा रूश्दी को दुआ मकबूल को दोगे /4
अगर चाहे भी वो दिल से बदल फितरत को डालू पर
पता है एक भी मौका नहीं तुम शूल को दोगे /5
कहा है सच बुजुर्गो ने सुलझ जाएगा हर मसला
जरा सा वक्त गर अपनी पुरानी भूल को दोगे /6
कहाँ जीवन में रंगत कुछ बचेगी यार बतलाओ
अगर तरजीह राहों में हवा अनुकूल को दोगे /7
ये जीवन नाम है उसका जहाँ अच्छा बुरा सब है
मगर पतवार की गलती सजा मस्तूल को दोगे ? /8
******************************************************
मौलिक और अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी "मुसाफिर "
Comment
आ0 भाई रवि शुक्ला जी गजल पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार ।
आ0 भाई तेजवीर जी आभार ।
आ0 भाई जयनित कुमार जी उपथिति के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
आ0 भाई मिथिलेश जी प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार ।
आ0 भाई समर कबीर जी प्रशंसा और त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए हार्दिक धन्यवाद ं
आ0 भाई श्यामनरायण जी, गजल का अनुमोदन करने हेतु हार्दिक आभार ।
आदरणीय लक्ष्मण जी बढि़या ग़ज़ल कही है आपने शेर दर श्ोर बधाई कुबूल करिये
हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!बेहतरीन गज़ल!
कहा है सच बुजुर्गो ने सुलझ जाएगा हर मसला
जरा सा वक्त गर अपनी पुरानी भूल को दोगे
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online