For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धन के बल पर नदी मुहाने -ग़ज़ल-(लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' )

2222    2222    2222    222
********************************
कौन कहेगा  यारो  बोलो बस्ती की मनमानी की
दोष लगाता हर कोई है गलती कहकर पानी की /1

राह रही जो नदिया की वो घर आगन सब रोक रहे
खादर  बंगर पाट रखी  है  नींव नगर रजधानी की /2

भीड़ बड़ी हर ओर  साथ  ही कूड़े का अम्बार बढ़ा
धन के बल पर नदी मुहाने आज पँहुच शैलानी की /3

हम को नादाँ  कहकर कोई बात न कहने देते पर
यार सयानों ने हर दम ही बात बहुत बचकानी की /4

माना सुविधाओं का यारा महलों में अम्बार बहुत
नींद मगर कहते हैं अच्छी टूटी छप्पर छानी की /5

सुनने का होता मन जब भी यार कथा तन्हाई में
आँखों का घट भर जाती हैं यादें दादी नानी की /6

मौलिक व अप्रकाशित

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 581

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 24, 2016 at 11:48am

आ० भाई सतविंदर जी ग़ज़ल पर उपस्थिति, प्रशंसा और त्रुटि की ओर ध्यान दिलाने के लिए आभार l

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 24, 2016 at 11:46am

आ० भाई बैजनाथ जी हार्दिक आभार l

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on February 21, 2016 at 9:52pm
बेहद सुंदर ग़ज़ल।हार्दिक बधाई आदरणीय धामी जी।

//राह रही जो नदिया की वो घर आगन सब रोक रहे//

में शब्द आगन है या आँगन कृपया देख लें।
Comment by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on February 20, 2016 at 3:10pm

आदरणीय लक्ष्मण साहेब ..........बहुत बढ़िया ....बधाई !!!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on February 18, 2016 at 12:38pm

आ० भाई तेजवीर जी , ग़ज़ल को समय देने के लिए हार्दिक आभार l

Comment by TEJ VEER SINGH on February 17, 2016 at 11:23am

हार्दिक बधाई आदरणीय लक्ष्मण धामी जी!बेहतरीन गज़ल!

हम को नादाँ  कहकर कोई बात न कहने देते पर
यार सयानों ने हर दम ही बात बहुत बचकानी की 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
5 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service