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मार डालेगा तेरा गैर जबाबी होना (ग़ज़ल 'राज')

2122  1122   1122   22

शाम को झील के रुख़सार गुलाबी होना

 मिलके खुर्शीद से जज्बात रूहानी होना

 

उन्स की  मय से लबालब है ग़ज़ल का सागर

, डूबकर उसमे सुखनवर का शराबी होना 

 

बिन कहे छोड़ के जाना यूँ अकेले लिल्लाह

मार डालेगा तेरा गैर जबाबी होना

 

पाक उल्फत या मुहब्बत या इबादत समझो

कृष्ण की चाह में मीरा का दिवानी होना

 

वो मुहब्बत है कहाँ आज वो दिलदार कहाँ

चुन के दीवार में चुपचाप कहानी होना   

 

  नक्श उम्मीद-ए-कलम के ये सदा होते हैं 

  दिल के ज़ज्बात के सागर में सुनामी होना  

 

कब्र का हाल तो मुर्दा ही समझ सकता है

लोग आसान समझते हैं निजामी होना           

 

पुरखतर राह जवानी की बड़ी होती है

उस पे मासूम तेरा रू-ए-किताबी होना 

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by rajesh kumari on March 3, 2016 at 12:37pm

आ० गिरिराज जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सार्थक हुआ | आ० समर भाई जी के  मार्ग दर्शन से हम सब लाभान्वित होते रहते हैं |

Comment by नादिर ख़ान on March 3, 2016 at 11:45am

पाक उल्फत या मुहब्बत या इबादत समझो

कृष्ण की चाह में मीरा का दिवानी होना

 

वो मुहब्बत है कहाँ आज वो दिलदार कहाँ

चुन के दीवार में चुपचाप कहानी होना   

आदरणीया राजेश कुमारी जी उम्दा ग़ज़ल के लिए मुबारकबाद ....
आदरणीय समर साहब से हम सब लाभान्वित होते रहते हैं, ये सौभाग्य की बात है ।

Comment by Samar kabeer on March 3, 2016 at 10:45am
बहना"निज़ामी"फ़ारसी भाषा का शब्द है, और इसका अर्थ होता है:-"सिलसिलाए निज़ामिया का मुरीद जो कि हज़रत निज़मुद्दीन ओलिया से मनसूब है ।और निज़ामुलमुल्क वज़ीर से मनसूब ।
अब इसकी जगह कोनसा शब्द रखना है में कुछ देर बाद बताऊंगा ।आप भी सोचिये ।

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Comment by गिरिराज भंडारी on March 3, 2016 at 10:33am

आदरणीया राजेश जी , अच्छी गज़ल कही है , दिली बधाइयाँ स्वीकार करें ।

निजाम का शाब्दिक अर्थ  -- प्रबन्धन से संबंधित  ,  सेना   , लिखा है ।


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Comment by rajesh kumari on March 2, 2016 at 9:58pm

आ० समर भाई जी ,फिर निज़ामी का अर्थ क्या होता है दरअसल यह मिसरा ---आप आसान समझते हैं निज़ामी होना ..किसी बड़े शायर की ग़ज़ल से फिल्बदीह ग़ज़ल में दिया गया था निज़ाम का अर्थ  प्रबंध है तो मैं तो यही सोच रही थी की निज़ामी प्रबंध करने वाला होता है |भाई जी इस शब्द के स्थान पर कोई और शब्द सुझाइए तो इसे बदल दूँगी 

Comment by Samar kabeer on March 2, 2016 at 9:41pm
बहना उसे "नज़िम" कहते हैं यानि इंतिज़ाम करने वाला,प्रबंधक ।

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Comment by rajesh kumari on March 2, 2016 at 6:19pm

आ० रवि शुक्ल जी नमस्कार | आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लेखनकर्म सार्थक हुआ तहे दिल से शुक्रिया |

Comment by Ravi Shukla on March 2, 2016 at 6:04pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने, दिली दाद  क़ुबूल फरमाएँ ।

पाक उल्फत या मुहब्बत या इबादत समझो

कृष्ण की चाह में मीरा का दिवानी होना   बहुत खूब कहा है, वाह


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Comment by rajesh kumari on March 2, 2016 at 5:55pm

आ० कांता जी ,आपकी प्रतिक्रिया सर्वदा होंसला वर्धक होती है आपको ग़ज़ल के अशआर पसंद आये मेरा लिखना सार्थक हुआ तहे दिल से आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 2, 2016 at 5:53pm

मनोज कुमार एहसास जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई बहुत- बहुत शुक्रिया |

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