For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- दुनिया का ढब दुनिया जैसा होता है। -- दिनेश कुमार

22--22--22--22-22--2


दुनिया का ढब दुनिया जैसा होता है
जो भी होता है वो अच्छा होता है

शाम ढले जब चिड़िया अपने घर लौटे
चोंच में उसके यारों दाना होता है

बाद में तो समझौते होते हैं दिल के
प्यार तो केवल पहला पहला होता है

अपने दम पर अब तक़दीर सँवारो तुम
मेहनतकश हाथों में सोना होता है

सोच रहा है आँगन का बूढ़ा बरगद
घर का आखिर क्यों बँटवारा होता है

चूड़ी कंगन पायल सब बेमानी हैं
लज्जा ही औरत का गहना होता है

रिश्वत ली थी, रिश्वत देकर छूट गया
हर ताले की चाबी पैसा होता है

खुशियाँ चाहोंगे तो ग़म भी आयेंगे
फूलों पर काँटों का पहरा होता है

मैंने जिसको आईना दिखलाया था
वो मुझ पर क्यों आग बबूला होता है

ये दुनिया है एक मुसाफ़िर ख़ाने सी
जो आता है उसको जाना होता है


मौलिक व अप्रकाशित

Views: 482

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on April 14, 2016 at 6:45am
मुझ नाचीज़ की हौसला अफ़ज़ाई के लिए आप सब सम्मानित साथियों का दिल की गहराइयों से असीम धन्यवाद्.।
प्रतिक्रिया देने में विलंब के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on March 11, 2016 at 9:55am

आदरणीय भाई दिनेश जी..शास्वत मूल्यों की चर्चा करती इस उम्दा ग़ज़ल के लिए तहे दिल बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 10, 2016 at 11:17am

बाद में तो समझौते होते हैं दिल के
प्यार तो केवल पहला पहला होता है

आ० भाई धर्मेन्द्र जी इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई l

Comment by ram shiromani pathak on March 9, 2016 at 5:50pm
सुन्दर ग़ज़ल बधाई भाई
Comment by TEJ VEER SINGH on March 9, 2016 at 1:29pm

हार्दिक बधाई आदरणीय दिनेश कुमार जी!बेहतरीन गज़ल!

Comment by narendrasinh chauhan on March 9, 2016 at 1:07pm

सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई

Comment by Harash Mahajan on March 9, 2016 at 12:20pm

आ० भाई धर्मेन्द्र जी वाह अति सुंदर
"चिड़िया जब भी शाम को वापिस घर आती
बच्चों ख़ातिर चोंच में दाना होता है"

इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई !!


Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 9, 2016 at 12:03pm

आ० भाई धर्मेन्द्र जी इस सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई l

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on March 9, 2016 at 10:55am

अच्छे अश’आर हुए हैं आदरणीय दिनेश दी दाद कुबूल करें।

Comment by Samar kabeer on March 9, 2016 at 10:21am
जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,बहुत अच्छी ग़ज़ल कही आपने दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
6 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए शेर-दर-शेर दाद ओ मुबारकबाद क़ुबूल करें ..... पसरने न दो…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आदरणीय धर्मेन्द्र जी समाज की वर्तमान स्थिति पर गहरा कटाक्ष करती बेहतरीन ग़ज़ल कही है आपने है, आज समाज…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Oct 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Sep 30
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Sep 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service