For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल -- ज़िन्दगी मैंने गुज़ारी ख़्वाब में। ( दिनेश कुमार )

2122--2122--212

हौसले जिनके बहे सैलाब में
उम्रभर फिर वे रहे गिर्दाब में

हो मुबारक चापलूसी आपको
अपनी दिलचस्पी नहीं अलक़ाब में

ढो रहें हैं बोझ हम तहज़ीब का
गर्मजोशी अब कहाँ आदाब में

कुछ अधूरे ख़्वाब, आहें और अश्क
बस यही है अब मेरे असबाब में

कौन करता रौशनी की कद्र अब
ढूँढ़ते हैं दाग़ सब महताब में

गीत ग़ज़लें छन्द मुक्तक हम्द नात
क्या नहीं है शायरी के बाब में

इसकी ख़ुशहाली का कारण ये भी है
पांच नदियाँ हैं मेरे पंजाब में

सिर्फ़ इतना सा है अफ़साना 'दिनेश'
ज़िन्दगी मैंने गुज़ारी ख़्वाब में

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 699

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on March 9, 2016 at 6:31am
आप सभी आदरणीय साथियों का हादिक आभार।
Comment by Rahul Dangi Panchal on February 28, 2016 at 7:08am
वाह वाह आदरणीय दिनेश भाई जी
Comment by Nilesh Shevgaonkar on January 31, 2016 at 8:49am

वाह भाई वाह..खूब 

Comment by Ravi Shukla on January 29, 2016 at 11:50am

आदरणीय  दिनेश भाई जी,बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही है आपने ,हर शेर बहुत ही बढि़या हुआ है दिली दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 28, 2016 at 1:24am

आदरणीय  दिनेश भाई जी,बहुत ही शानदार ग़ज़ल कही है आपने , शेर दर शेर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 21, 2016 at 11:04pm
वाह दिनेश भाई क्या ग़ज़ल कही है दिली दाद हाज़िर है क़ुबूल फ़रमायें
Comment by TEJ VEER SINGH on January 21, 2016 at 2:53pm

हार्दिक बधाई दिनेश जी!शानदार गज़ल!

ढो रहें हैं बोझ हम तहज़ीब का
गर्मजोशी अब कहाँ आदाब में

Comment by Samar kabeer on January 21, 2016 at 2:48pm
जनाब दिनेश कुमार जी आदाब,बहुत ही शानदार ग़ज़ल से नवाज़ा है आपने मंच को,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service