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//मंज़िलें सबकी अलग सबके अलग हैं रास्ते,
फिर किसी का साथ पाने का भला क्या अर्थ है ?//
एक बहुत ही दिलकश गज़ल के लिए हार्दिक बधाई।
मंज़िलें सबकी अलग सबके अलग हैं रास्ते,
फिर किसी का साथ पाने का भला क्या अर्थ है
अच्छी ग़ज़ल कही आपने,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।
देह मन का साथ छोड़े, स्वर जुदा हों सत्य से,
इस तरह रिश्ते निभाने का भला क्या अर्थ है ?
बहुत ही गहरा अर्थ लिए इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया डॉ. प्राची सिंह जी।
आदरणीया प्राची जी ,,बिलकुल नए अनदाज में लिखी हुई इस ग़ज़ल के हर शेर के लिए तहे दिल दाद स्वीकार करें सादर बधाई के साथ
मंज़िलें सबकी अलग सबके अलग हैं रास्ते,
फिर किसी का साथ पाने का भला क्या अर्थ है ? बहोत सुन्दर
खूब सुन्दर रचना
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