For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (क़ियामत से पहले )

ग़ज़ल (क़ियामत से पहले )

---------------------------------

122 --122 --122 --122

जुदा हो गए हैं वो क़ुरबत से पहले |

क़ियामत उठी है क़ियामत से पहले |

तड़प आह ग़म अश्क वह इम्तहाँ हैं

जो होंगे मुहब्बत कि जन्नत से पहले |

कहीं बाद में हो न अफ़सोस तुम को

अभी सोच लो तरके उल्फ़त से पहले |

ख़ुशी ज़िंदगी भर भला किसने पाई

कई कोहे ग़म हैं मुसर्रत से पहले |

न इतराओ करके तसव्वुर किसी का

अभी ख़्वाब हैं कुछ हक़ीक़त से पहले |

गई महनते शेख़ बेकार साक़ी

सभी पी चुके थे नसीहत से पहले |

उन्हें ख़ूब तस्दीक़ पहचान लेना

नज़र फेर लें जो मुरव्वत से पहले |

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 639

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 4, 2016 at 7:21am

मोहतरम जनाब विजय  साहिब ,ग़ज़ल  में गहरायी से शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by vijay nikore on April 3, 2016 at 3:36pm

बहुत ही खूबसूरत गज़ल । हार्दिक बधाई।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2016 at 10:59pm

मोहतरमा राहिला  साहिबा  , ग़ज़ल पसंद करने और आपकी हौसला अफ़ज़ाई का बहुत  बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Rahila on April 2, 2016 at 10:15pm
बहुत शानदार गज़ल हुई आद.खान साहब!बहुत बधाई गजल के हर शेर के लिये । सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2016 at 12:25pm

 जनाब नरेन्द्र सिंह चौहान   साहिब , ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2016 at 12:24pm

मोहतरम जनाब रवि शुक्ल   साहिब , ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on April 2, 2016 at 12:23pm

जनाब सूबे सिंह सुजान  साहिब , ग़ज़ल में शिरकत करने और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ,महरबानी

Comment by narendrasinh chauhan on April 2, 2016 at 11:21am

khub sundar rachnaa 

Comment by Ravi Shukla on April 2, 2016 at 7:50am
आदरणीय तस्दीक अहमद जी बहुत सुन्दर ग़ज़ल कही है शेर दर शेर दिली दाद और मुबारक बाद क़ुबूल करे । वाह
Comment by सूबे सिंह सुजान on April 1, 2016 at 10:21pm
तसदीक अहमद जी,आपकी ग़ज़ल तसदीक कर रही है । बधाई बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"स्वागतम"
11 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
11 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय चेतन जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
20 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर"
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
yesterday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
yesterday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service