For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम गए तो प्राण का जाना लिखा

तुम गए तो प्राण का जाना लिखा
बिन तेरे निःश्वांस हो जाना लिखा।
देखिये ना प्रेम की जादूगरी
स्वयं को मीरा तुम्हें कान्हा लिखा।।1।।

जब कभी भी पूर्णिमा का चाँद निकला
खिडकियों से झांककर आगे चला।
भाग कर छत पर गया देखा तुम्हें
और झट से तेरा आ जाना लिखा।।।।2।।

एक भीनी सी सुरभि जब भी कभी
मेरे कमरों की हवाओं में घुली।
मैंने खुद को फिर मचलता देखकर
रात रानी का महक जाना लिखा।।3।।

जब कभी अवसाद सागर में मेरी


नाव मन की फँसी तूफाँ में घिरी।
नाम तेरा अधर पर मेरे आ गया
मैंने इसको नाव ख़े जाना लिखा।।4 ।।

वेदना की शीत नें पकड़ा कभी
कंपकपाती अस्थि को जकड़ा कभी।
आँखों से सपनों के पत्ते जब झरे
मौसम ए पतझर का आ जाना लिखा।।5।।

फिर तुम्हारी कल्पना पुष्पित हुई
पल्लवित मेरी चेतना फिर से हुई।
फिर तुम्हारी यादों के अंखुए उगे
अंकुरित यादों का हो जाना लिखा।।6।।

ज़िंदगी की धूप में तपते हुए
हृदय गृह का शीतलन करते हुए।
ज़ुल्फ़ की छाया जो तूनें कर दिया
सावनी बादल का छा जाना लिखा।।7।।

मौलिक  एवं  अप्रकाशित

Views: 643

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 19, 2016 at 9:44am
सादर आभार आदरणीय सतविंदर भाई।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on April 19, 2016 at 9:21am
बहुत ख़ूब आदरणीय पंकज भाई जी!
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 19, 2016 at 8:40am
आदरणीय समर कबीर सर प्रणाम स्वीकारें। रचना पर नज़र-ए-इनायत के लिए बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 19, 2016 at 8:39am
स्वागत है रत्न प्रिया, अब कुछ रचनाएँ भी भेजो। खुश रहो
Comment by Samar kabeer on April 18, 2016 at 11:25pm
जनाब पंकज कुमार मिश्रा जी,आदाब,इस सुन्दर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।
Comment by RATNA PRIYA PANDEY on April 18, 2016 at 11:02pm
अतिसुन्दर भाव ....तुम गए तो प्राण का जाना लिखा....
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 18, 2016 at 11:51am
आदरणीय लक्ष्मण सर सादर धन्यवाद,।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 18, 2016 at 11:50am
आदरणीय सुरेश कल्याण सर सादर आभार
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 18, 2016 at 11:26am

आ0 भाई पंकज जी बहुत सनडर गीत हुआ है हार्दिक बधाई स्वीकरें l

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on April 16, 2016 at 12:39pm
वाह बहुत सुन्दर रचना बधाइयाँ

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
12 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service