For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जो कर सको तो दुआ करो (ग़ज़ल ) ..डॉ० प्राची

११२१२, ११२१२, ११२१२, ११२१२ 

मुझे ज़िन्दगी की तलाश है, मुझे ख़्वाब में न मिला करो।
न करो कभी कोई वायदा, जो करो तो फिर न फिरा करो।

वो जो चीर दे कोई पाक दिल, न ही तंज ऐसे कसा करो।
बड़ी मुश्किलों से भरा हो जो, न वो जख़्म फिर से हरा करो।

जो छुपा हुआ सा नज़र में है, वही राज़ हमसे कहा करो
कभी दिल करो नहीं अनसुना, कभी खुद को यूँ न छला करो।

न रुकें कदम, न झुके नज़र, न थके कभी भी ये हौसला
सभी मंज़िले अभी दूर हैं, युँ ही राह में न रुका करो।

जो बिगड़ गया कभी भूल से, तो सँवारने की हों कोशिशें
नहीं कोशिशों से सँवर सके, तो जो कर सको तो दुआ करो।

ये उठा के ऊँचा गिरा न दे, ये जिता के फिर से हरा न दे
यहाँ ख्वाहिशों की जमीन है, ज़रा तुम सम्हल के चला करो।

मेरी बेहिसाब हैं उलझनें, ये सुलझ सकें तो मिले करार
जहाँ साँझ की करूँ आरती, वहीं दीप बन के जला करो।

मौलिक और अप्रकाशित 

 

Views: 553

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by vijay nikore on April 24, 2016 at 4:27pm

 //मुझे ज़िन्दगी की तलाश है, मुझे ख़्वाब में न मिला करो।
  न करो कभी कोई वायदा, जो करो तो फिर न फिरा करो ।//

खूबसूरत खयाल... खूबसूरत गज़ल ... पढ़ कर लुत्फ़ आ गया।

गज़ल इतनी अच्छी लगी कि औरों से भी साझी करी। बधाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 18, 2016 at 11:36am

आ0 प्राची बहन बहुत सुन्दर ग़ज़ल हुई है हार्दिक बधाई l

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 14, 2016 at 10:06pm

अच्छी ग़ज़ल हुई है आदरणीया प्राची जी, दाद कुबूल कीजिए।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 13, 2016 at 9:29am
बढ़िया ग़ज़ल हुई है, कहीं कुछ कमी सी लग रही है, लेकिन क्या?
Comment by Shyam Narain Verma on April 12, 2016 at 12:50pm
क्या बात है , बहुत उम्दा , हार्दिक बधाई ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service