For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बह्र : २२ २२ २२ २

जल्दी में क्या सीखोगे

सब आहिस्ता सीखोगे

 

एक पहलू ही गर देखा

तुम सिर्फ़ आधा सीखोगे

 

सबसे हार रहे हो तुम

सबसे ज़्यादा सीखोगे

 

सबसे ऊँचा, होता है,

सबसे ठंडा, सीखोगे

 

सूरज के बेटे हो तुम

सब कुछ काला सीखोगे

 

सीखोगे जो ख़ुद पढ़कर

सबसे अच्छा सीखोगे

 

पहले प्यार का पहला ख़त

पुर्ज़ा पुर्ज़ा सीखोगे

 

हाकिम बनते ही ‘सज्जन’

सब कुछ खाना सीखोगे

-------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 660

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 21, 2016 at 9:07pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया राजेश कुमारी जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 20, 2016 at 9:08pm

सबसे हार रहे हो तुम

सबसे ज़्यादा सीखोगे---वाह्ह्ह  वाह 

बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई सभी शेर बढ़िया हुए बधाई लीजिये 

 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 20, 2016 at 9:03pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय समर साहब। इस शे’र को सुधारने पर मैं विचार कर रहा हूँ। अभी दिमाग में कुछ ऐसा है।

इक पहलू ही गर देखा
तुम बस आधा सीखोगे

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 20, 2016 at 9:01pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रक्ताले जी

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 20, 2016 at 9:00pm

तह-ए-दिल से शुक्रगुज़ार हूँ आदरणीय सौरभ जी, स्नेह बना रहे

Comment by Samar kabeer on July 20, 2016 at 6:38pm
जनाब धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है, दाद के साथ बधाई स्वीकार करें ।
दूसरे शैर में कुछ अटकाव महसूस हो रहा है, इसे यूँ करना मुनासिब होगा क्या ? :-
"इक पहलू ही गर देखा
तो फिर आधा सीखोगे "
Comment by Ashok Kumar Raktale on July 20, 2016 at 1:32pm

जल्दी में क्या सीखोगे

सब आहिस्ता सीखोगे

 

एक पहलू ही गर देखा

तुम सिर्फ़ आधा सीखोगे....वाह ! वाह !

आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी सादर, बहुत ही खूब गजल कही है, हर शेर सीखने वाले को एक नयी चेतावनी देता दीख रहा है. बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें. सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 19, 2016 at 10:35pm

सारे शेर तो कमाल हैं ही, आदरणीय धर्मेन्द्र जी, इस शेर ने बहुत ही अधिक प्रभावित किया -

सबसे ऊँचा, होता है,

सबसे ठंडा, सीखोगे

हार्दिक बधाइयाँ ग़ज़ल के होने पर. 

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 19, 2016 at 9:19pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय गिरिराज जी, आपकी बात से एक और शे’र हो गया

खुद को पढ़ लोगे जिस दिन

सारी दुनिया सीखोगे

Comment by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on July 19, 2016 at 9:18pm

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सुशील जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
21 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service