नशीली आग़ोश ....
अरसा हुआ तुमसे बिछुड़े हुए
ख़बर ही नहीं
हम किस अंधी डगर पर
चल पड़े
हमारी गुमराही पर तो
कायनात भी खफ़ा लगती है
बाद बिछुड़ने के
मुददतों हम
आईने से नहीं मिले
ख़ुद अपनी शक्ल से भी हम
नाराज़ लगते हैं
तुम्हें क्या खोया
कि अँधेरे हम पर
महरबान हो गए
यादों के अब्र
चश्मे-साहिल के
कद्रदान गए
दरमानदा रहरो की मानिंद
हमारी हस्ती हो गयी
इश्क-ए-जस्त की फ़रियाद
करें भी तो किससे
दिल बेदर की दीवारों में
कैद हो गया
अब शब की ख़बर नहीं
सहर भी जाने कब गुजर जाती है
तुमसे मिलने में
तारीकियों की साज़िश है
जाने किन सुलगते ख़्वाबों की
चंद साँसों में आतिश है
जाने कब वो आहट होगी
जो मुझे मेरेअफ्सुर्दा
लम्हों की क़बा से
रिहा कराएगी
वो नशीली आग़ोश
इस मर्गे-बदन को
ज़िंदगी दे जाएगी
दरमानदा=भटका हुआ , रहरो=मुसाफ़िर,
जस्त =चोट ,मर्गे-बदन=बदन की मौत
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीया KALPANA BHATTजी प्रस्तुति को अपने मधुर शब्दों से अलंकृत करने का तहे दिल से शुक्रिया।
वाह वाह सुंदर भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकारें आदरणीय सुशिल सर |
आदरणीया राहिला जी प्रस्तुति को अपने मधुर शब्दों से अलंकृत करने का तहे दिल से शुक्रिया।
आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति के भावों को अनुमोदित करने का हार्दिक आभार।
आदरणीय गिरिराज जी भाई साहिब प्रस्तुति पर आपकी नज़रे इनायत का तहे दिल से शुक्रिया। आपकी शंका का शायद आदरणीय समर कबीर साहिब की टिप्पणी से सन्तुष्ट हो गयी होगी। सदर ...
आदरणीय रामबली गुप्ता जी प्रस्तुति को अपने स्नेहिल शब्दों से अलंकृत करने का हार्दिक आभार।
आदरणीय सुशील भाई , बहुत सुन्दर भाव पूर्ण रचना हुई है , दिल से बधाइयाँ आपको ।
जैसा कि आ. समर भाई जी ने कहा है -- चश्मे साहिल का अर्थ साहिल की आँख से लिया जायेगा , आँखों के साहिल से नहीं । उसके लिये साहिले चश्म कहना पड़ेगा , लेकिन ये कितना सही है , आ. समर भाई ही बता पायेंगे । मै उर्दू का बहुत अधिक जानकार नहीं हूँ । अत: आ. समर भाई की प्रतिक्रिया का इंतिज़ार कीजियेगा , परिवर्तन से पहले ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online