For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक तुम्हारे होने से / कविता

साक्षी है सिंधू मन मेरा एक तुम्हारे होने से
हृदय की भित्तियों में चित्तियाँ तुम्हारे होने से

ऊँची काली दीवारें थाह पता कोई ना जाने
जीने -मरने में भेद मिटा संत्रासों के ढोने से
हृदय की भित्तियों में चित्तियाँ तुम्हारे होने से .......

उलट-पुलट है यह जग सारा पुरवाई भी व्याकुल है
लहरों की उछ्वासित साँसों को क्या मलाल अब खोने से
हृदय की भित्तियों में चित्तियाँ तुम्हारे होने से ........

लय की अनंतता में अंतर्मन का रमकर रमना
नित्य-निरंतर उसके गति में अविचलता के होने से
हृदय की भित्तियों में चित्तियाँ तुम्हारे होने से .........

मौलिक और अप्रकाशित

Views: 1090

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by kanta roy on August 4, 2016 at 12:10pm
हृदय से आभार आपका आदरणीया प्रतिभा जी रचना को मान देने के लिये।
Comment by kanta roy on August 4, 2016 at 12:06pm
आदरणीय सौरभ जी,कोशिश कर रही हूँ आपकी कसौटी पर उतरने की ।मेरा लेखन उद्देश्य ही आपके द्वारा रचना को मान्यता मिलना होता है। कहती हूँ मैं उन लेखकों से जो पूर्ण संतुष्टि को जीते है कि पहले सौरभ जी से सार्थक प्रतिक्रिया लेकर आईये तो जानू । कहने का तात्पर्य यही है कि कसौटी हमेशा बेबाकपूर्ण ही होना चाहिये और मै निजी तौर पर आपकी इस बात की जबरदस्त कायल भी हूँ । अभिनंदन ।
Comment by kanta roy on August 4, 2016 at 11:55am
लेखन पर आपकी उपस्थिती व पसंदगी के लिये तहेदिल आभार आपका आदरणीय समर कबीर जी।
Comment by kanta roy on August 4, 2016 at 11:54am
रचना को मान देने के लिये आभार आपका आदरणीय श्याम जी
Comment by Pawan Jain on August 2, 2016 at 11:21pm

भाव पूर्ण सुंदर रचना हेतु बधाई आदरणीय ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 2, 2016 at 10:28pm
वाह आदरणीया सखी दी ।बेहद भाव पूर्ण रचना ।हार्दिक बधाई ।
Comment by pratibha pande on August 2, 2016 at 8:21pm

ऊँची काली दीवारें थाह पता कोई ना जाने
जीने -मरने में भेद मिटा संत्रासों के ढोने से......वाह 
 ......
भावों भरा  ये  सुन्दर गीत  बहुत मोहक है  आपको हार्दिक बधाई आदरणीया कांता जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2016 at 7:36pm

बहुत बढ़िया .. वाह वाह ! भाव पक्ष को शब्दो का मुग्धकारी सहयोग मिला है. सर्वोपरि, आपका रचनाकर्म सार्थक ढंग से सम्मानित हुआ है, आदरणीया. वैसे, अबतक आपको और गहन हो जाना चाहिए. 

सादर

Comment by Samar kabeer on August 2, 2016 at 6:24pm
मोहतरमा कांता रॉय साहिबा आदाब,बहुत बढ़िया कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Shyam Narain Verma on August 2, 2016 at 11:02am
इस भावपूर्ण कविता के लिए हार्दिक बधाई .सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service