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आजादी के पावन पर्व पर....

आजादी के पावन पर्व पर.....

आजादी के पावन पर्व पर

तिरंगा हम फहराते हैं
मर मिटने को देश पे यारो 
लाखों  कसमें खाते हैं
करके चन्द  पुष्प समर्पित
वीरों की तस्वीरों पर
बस शीश झुका कर उनके आगे
अपना फर्ज़ निभाते हैं
आजादी के पावन पर्व पर.....
एक तरफ जवानों को देखो
जो देश की लाज बचाते हैं
और सीमा पर लड़ते-लड़ते
एक यादगार बन जाते हैं
एक तरफ यहाँ देश के अंदर
भ्रष्टाचार का तांडव है
बन के मसीहा देश के अंदर
देश को लूट के खाते हैं
आजादी के पावन पर्व पर ....
हैं गलियाँ अब भी वही
जहाँ पर आजादी के नारे थे
जन्म भूमि के लिए जहाँ पर
बहे खून के धारे थे
आती नहीं आवाजें अब क्यूं
रंग दे बसंती चोले की
कुर्सी के लिए अब जीते हैं
कुर्सी के लिए मर जाते हैं
आजादी के पावन पर्व पर
तिरंगा हम फहराते हैं
मर मिटने को देश पे यारो 
लाखों  कसमें खाते हैं,
आजादी के पावन पर्व पर
तिरंगा हम फहराते हैं

सुशील सरना

मौलिक एवम अप्रकाशित 

 

Views: 440

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Comment by Sushil Sarna on August 19, 2016 at 2:12pm

आदरणीय सौरभ सर आपकी आत्मीय प्रशंसा से सृजन और सृजनकर्ता उपकृत हुए । आपका हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on August 19, 2016 at 2:10pm

आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 18, 2016 at 4:03pm

आपकी भावना प्रधान रचनाएँ पठनीय होती हैं आदरणीय सुशीलसरना जी. इस रचना के लिए हार्दिक बधाइयाँ .. 

एक बात अवश्य है, रचना के पूरा होते ही उसे तुरत पोस्ट करने के लिए आग्रही हो उठना आपके बाल-हृदय के उत्साह का सुन्दर उदाहरण है.

सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 17, 2016 at 9:52pm

सुन्दर उदगार बार बार लगातार  . सादर

Comment by Sushil Sarna on August 16, 2016 at 1:37pm

आदरणीय डॉ विजय शंकर जी प्रस्तुति को अपने स्नेहिल शब्दों से समृद्ध करने के लिया आपका हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on August 16, 2016 at 1:37pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का हार्दिक आभार।

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 16, 2016 at 7:20am
स्वाधीनता दिवस पर खूबसूरत प्रस्तुति , आदरणीय सुशील सरना जी बधाई , सादर।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on August 16, 2016 at 6:43am
बढ़िया रचना । करारा व्यंग । हार्दिक बधाई आदरणीय सुशिल जी ।

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