For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

स्वाभिमानी पत्थर-रामबली गुप्ता

मानव उवाच(कुकुभ छंद)

सुनो कथा पत्थर की भैया,
पत्थर क्या-क्या सहते हैं?
कथा व्यथा है इनकी सच मे,
डरे-डरे-से रहते हैं।।
जिसका भी जी चाहे इनको,
दीवारों में चुनवा दे ।
और हथौड़े की चोटों से,
टुकड़ों मे भी तुड़वा दे।।

पत्थर उवाच(ताटंक छंद)

चोटों की परवाह नही है,
चोटों पर दिल वारा है।
मानवता के काम आ सकें,
ये सौभाग्य हमारा है।।
महल-अटारी-मंदिर-मस्जिद,
नगर-डगर गुरुद्वारा है।
जग में गिरि से लघु कंकड़ तक,
हमसे निर्मित सारा है।।

सूर्य-चंद्र-ग्रह-उपग्रह-तारे,
सब मे अंश हमारा है।
हम ही मणि-मोती हीरा भी,
जो तुझको अति प्यारा है।।
तरु-नर-पशु-खग के जीवन को,
हमसे मिला सहारा है।
चीर हमारा वक्ष धरा पर,
निकली मृदु-जल-धारा है ।।

हे! नर! जग में परहितकारी,
चोटों से कब हारा है?
जन-हित हेतु समर्पित उसका,
होता तन-मन सारा है।।
कटें छटें या तोड़े जाएं,
हमने सब स्वीकारा है।
हर युग में निर्माण नया हो,
ये संकल्प हमारा है।।

रचना-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 514

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by रामबली गुप्ता on August 24, 2016 at 5:32pm
छंद पर प्रतिक्रिया के लिए और प्रोत्साहन के लिए हृदय से आभार आद0 अशोक रक्ताले जी
Comment by Ashok Kumar Raktale on August 21, 2016 at 10:33pm

वाह ! वाह ! दोनों ही छंद सुंदर रचे हैं आदरणीय रामबली गुप्ता जी. बहुत-बहुत बधाई. सादर.

Comment by रामबली गुप्ता on August 19, 2016 at 6:44am
हृदयतल से आभार आद0 गोपाल नारायन जी। यदि रचना में कोई कमी या सुधार की गुंजाइश दिखे तो अवश्य अपने बहुमूल्य सुझाव से हमे अनुगृहीत करियेगा। मुझे खुशी होगी और सीखने को तो मिलेगा ही साथ ही रचना को परिष्कृत होकर और भी निखरने का अवसर प्राप्त होगा। पुनश्च आभार।सादर
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 18, 2016 at 3:40pm

बढ़िया रचना है आदरणीय .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service