मृत्यु फिर जीत गयी .......
लम्हे यादों के
बढ़ती शब् के साथ
पिघलते रहे
मेरे अहसास
लफ़्ज़ों के पैरहन में
गूंगे बन
सिरहाने रखीं किताब में
पिघलते रहे
दीवारों पर
छाई शून्यता की काई में
ये नज़रें
किसी के बहते लावे के साथ
पिघलती रही
मैं और तुम
का अस्तित्व
पिघलकर
एक हुआ
ज़िस्म केज़िंदाँ में
अनबोले लम्स
पिघलते रहे
ज़िस्म मिटे
साये मिटे
अपने मिटे
पराये मिटे
लपटें उठी
फलक झुका
आरम्भ का
इक अंत हुआ
खामोश
हर इक पंथ हुआ
एक दीप
जलता रहा
एक अंत
चलता रहा
मृत्यु
फिर जीत गयी
कहकहा
पिघलता रहा
सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
आदरणीय गिरिराज भंडारी जी प्रस्तुति आपके श्री मुख से प्रशंसा पाकर उपकृत हुई। आपका हार्दिक आभार।
आदरणीय सुशील भाई , बेहतरीन एहसासात की मंज़रकशी की आपने , दिल से बधाइयाँ आपको ।
आदरणीया कांता रॉय जी प्रस्तुति के भावों को अपनी स्नेह बरखा से सींचने के लिए हार्दिक आभार।
आदरणीया राहिला जी रचना आपके स्नेह वचनों से उपकृत हुई। आपका तहे दिल से शुक्रिया।
आदरणीय सतविंदर जी प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।
आदरणीय बृजेश जी रचना के भावों को आपकी आत्मीय सहमति देती प्रशंसा का दिल से आभार।
आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति आपकी आत्मीय सराहना से उपकृत हुई। आपके द्वारा इंगित त्रुटि के लिए मैं आपका अत्यंत आभारी हूँ। मेरे ज्ञान चक्षु को नयी दृष्टि से अवगत कराने का हार्दिक आभार। मैं अभी इसे दुरुस्त किये देता हूँ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online