For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मृत्यु फिर जीत गयी .....

मृत्यु फिर जीत गयी .......

लम्हे यादों के 

बढ़ती शब् के साथ
पिघलते रहे

मेरे अहसास
लफ़्ज़ों के पैरहन में
गूंगे बन
सिरहाने रखीं किताब में
पिघलते रहे

दीवारों पर
छाई शून्यता की काई में
ये नज़रें
किसी के बहते लावे के साथ
पिघलती रही

मैं और तुम
का अस्तित्व
पिघलकर
एक हुआ

ज़िस्म केज़िंदाँ में
अनबोले लम्स
पिघलते रहे

ज़िस्म मिटे
साये मिटे
अपने मिटे
पराये मिटे
लपटें उठी
फलक झुका
आरम्भ का
इक अंत हुआ
खामोश
हर इक पंथ हुआ
एक दीप
जलता रहा
एक अंत
चलता रहा
मृत्यु
फिर जीत गयी
कहकहा
पिघलता रहा

सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 600

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on September 6, 2016 at 1:24pm

आदरणीय  गिरिराज भंडारी जी  प्रस्तुति  आपके श्री मुख से प्रशंसा पाकर उपकृत हुई।  आपका हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 6, 2016 at 10:55am

आदरणीय सुशील भाई , बेहतरीन एहसासात की मंज़रकशी की आपने , दिल से बधाइयाँ आपको ।

Comment by Sushil Sarna on September 5, 2016 at 5:02pm

आदरणीया कांता रॉय जी प्रस्तुति के भावों को अपनी स्नेह बरखा से सींचने के लिए हार्दिक आभार। 

Comment by kanta roy on September 4, 2016 at 3:58pm
मेरे अहसास
लफ़्ज़ों के पैरहन में
गूंगे बन
सिरहाने रखीं किताब में
पिघलते रहे...... वाह!इस पिघलने का मर्म बहुत गहरा है। शब्द-शब्द दिल से दिल तक की राह बना कर निकले है। शानदार लेखन हुआ है यहाँ भी आपका आदरणीय सुशील सरना जी। बधाई प्रेषित है।
Comment by Sushil Sarna on September 4, 2016 at 12:59pm


आदरणीया राहिला जी रचना आपके स्नेह वचनों से उपकृत हुई। आपका तहे दिल से शुक्रिया।

Comment by Sushil Sarna on September 4, 2016 at 12:59pm

आदरणीय सतविंदर जी प्रस्तुति के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार।

Comment by Rahila on September 4, 2016 at 12:28pm
बहुत शानदार रचना हुयी आदरणीय सर जी !खूब बधाई ।सादर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 4, 2016 at 12:22pm
शानदार अभिव्यक्ति हुई है आदरणीय सुशील सरना जी।हार्दिक बधाई
Comment by Sushil Sarna on September 4, 2016 at 11:22am

आदरणीय बृजेश जी रचना के भावों को आपकी आत्मीय सहमति देती प्रशंसा का दिल से आभार।

Comment by Sushil Sarna on September 4, 2016 at 11:22am

आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति आपकी आत्मीय सराहना से उपकृत हुई। आपके द्वारा इंगित त्रुटि के लिए मैं आपका अत्यंत आभारी हूँ। मेरे ज्ञान चक्षु को नयी दृष्टि से अवगत कराने का हार्दिक आभार। मैं अभी इसे दुरुस्त किये देता हूँ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"अगले आयोजन के लिए भी इसी छंद को सोचा गया है।  शुभातिशुभ"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका छांदसिक प्रयास मुग्धकारी होता है। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह, पद प्रवाहमान हो गये।  जय-जय"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, आपकी संशोधित रचना भी तुकांतता के लिहाज से आपका ध्यानाकर्षण चाहता है, जिसे लेकर…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई, पदों की संख्या को लेकर आप द्वारा अगाह किया जाना उचित है। लिखना मैं भी चाह रहा था,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए है।हार्दिक बधाई। भाई अशोक जी की बात से सहमत हूँ । "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, हार्दिक धन्यवाद  आभार आपका "
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद  आभार आदरणीय अशोक भाईजी, "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभाजी "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी बहुत सुन्दर भाव..हार्दिक बधाई इस सृजन पर"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह..बहुत ही सुंदर भाव,वाचन में सुन्दर प्रवाह..बहुत बधाई इस सृजन पर आदरणीय अशोक जी"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service