For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दोहे (एक प्रयास ) /अलका चंगा

दोहे (एक प्रयास )

-.-

नैनन में ममता लिए,होंठों पर मुस्कान।
भिड़ जाए सन्सार से , जातक पे कुर्बान।।
-.-
अञ्चल में माँ सींचती,अमृत का भण्डार।
ऋषि हो चाहे देवता ,सीस झुकाते द्वार।।
-.-
संघर्षों से डरू नहीं ,माँ तुम हो जो पास ।
अंधेरे जब बढ़ गए,पाई तुमसे आस ।।
-.-
माता तुम जो बोलती, वहि मेरा है कर्म।
पाया भाव यहि तुमसे , जीवित रखना धर्म।।
-.-
कान्हा हो सुत रूप में ,चाहे हो बलराम।
मात यसोदा रूप है, नित्ये करो प्रणाम ।।

-.-

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 641

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 15, 2016 at 5:14pm

आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण ' जी, मेरे सृजन की सराहना और सुझाव के लिए हार्दिक अभिनन्दन आपका, आपके सुझाव अनुसार संशोधन किया है
बाकि के शब्द डरूं, वही, यही बदलने से मात्रा क्रम में अटक रहि हूँ

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 12, 2016 at 6:12pm
आदरणीया अल्का चंगा जी सभी दोहे भावपूर्ण एवं सुन्दर हैं। बहुत ही अच्छा प्रयास हुआ है।
मेरे ख्याल से
अमरत के स्थान पर अमृत
द्धार के स्थान पर द्वार
सन्घर्षों के स्थान पर संघर्षों
होना अधिक उचित होगा।
अंधेरे जहाँ बढ गए में मात्राओं को जरा जांच लें।
बाकी आदरणीय श्री अशोक कुमार रक्ताताले जी ने आपको बता ही दिया है।
बधाई प्रेषित है । सादर ।
Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 12, 2016 at 3:51pm

आदरणीय अशोक कुमार जी , मेरे अल्पज्ञान के मुताबिक संशोधन किया है साथ/ साथ की जगह पास / आस। ...और नित्य का नित्ये
बाकि के शब्द ऋषी, डरू, वहि, यहि.// ऋषि , डरूं, वही, यही बदलने से मात्रा क्रम में अटक रहि हूँ

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 12, 2016 at 1:16pm

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी नमस्कार , आपने  मेरे सृजन को पढ़ा सराहा उसके लिए हार्दिक अभिनन्दन आपका

Comment by अलका 'कृष्णांशी' on September 12, 2016 at 1:14pm

आदरणीय अशोक कुमार  जी नमस्कार , आपने मेरे दोहों को पढ़ा सराहा उसके लिए मैं आपका हार्दिक अभिनन्दन करती हूँ ...आपने जिस ओर ध्यान दिलाया है उसका मैं आगे से जरूर ख्याल रखूंगी ..आभार आपका ..

Comment by Ashok Kumar Raktale on September 11, 2016 at 7:45pm

आदरणीया अलका चंगा जी सादर, दोहों पर सुंदर प्रयास हुआ है. सतत प्रयास से अवश्य ही सुधार भी होगा. इस प्रस्तुति के लिए बहुत-बहुत बधाई स्वीकारें.

कुछ शब्द जो सही रूप में नहीं हैं - ऋषी, डरू, वहि, यहि.// ऋषि , डरूं, वही, यही.

दोहों में तुकांत प्रयोग होता है इस दृष्टि से साथ /साथ. सही नहीं है.

पाया भाव यहि तुमसे.......दोहे में विषम चरण का अंत लघु गुरु अथवा लघु -लघु -लघु /नगण से ही श्रेष्ठ है.

नित्य करो प्रणाम.........यहाँ एक मात्रा कम रह गई है.

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 9, 2016 at 8:45pm
बढ़िया, सुंदर भावपूर्ण दोहा-छंद प्रयास हेतु हृदयतल से बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएँ आदरणीया अलका चांगा जी। छंद विषयक विवेचना गुणीजन ही कर सकेंगे। सफल प्रयास!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"सुलगता रहा इक शरर धीरे धीरे जलाता रहा वो ये घर धीरे धीरे मचाया हवाओं ने कुहराम ऐसा गिरा टूट कर हर…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"रदीफ़ क़ाफ़िया में तो ऐसा कोई बंधन नहीं है इसलिये आपका प्रश्न स्पष्ट नहीं है। "
2 hours ago
Poonam Matia replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"नमस्कारक्या तरही मिसरे में लिंग अनुसार बदलाव करसकते हैंक्यूंकि उसे मैं अपने अनुसार प्रयोग…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"स्वागत है।"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"यह तरही के लिए है या पृथक से?"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"स्वागतम"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )

११२१२     ११२१२       ११२१२     ११२१२  मुझे दूसरी का पता नहीं ***********************तुझे है पता तो…See More
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाई , वाह ! बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है , दिली बधाई स्वीकार करें "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय  निलेश भाई  हमेशा की तरह अच्छी ग़ज़ल हुई है,  हार्दिक  बधाई वीकार…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण  भाई , अच्छी ग़ज़ल कही , बड़ी कठिन रदीफ़ चुनी आपने , हार्दिक  बधाई आपको "
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post करेगी सुधा मित्र असर धीरे-धीरे -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें मक्ता शायद अपनी बात नहीं कह पा रहा…"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल पर आपकी उपस्थिति हमेशा प्रेरणा दाई  होती है , ग़ज़ल के कुछ शेर आपको अच्छे…"
6 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service