For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बिज़नेस का सबक़ (लघुकथा)

"बेटा, ये सब सिर्फ़ उनका बिज़नेस है, कोई समर कैम्प चलाकर पैसा कमाता है, तो कोई हॉबी क्लासेज़! ढंग से कोई कुछ नहीं सिखाता!" - गर्मियों की छुट्टियां शुरू होने पर वर्मा जी ने अपने बेटे अतुल की फ़रमाइश पर समझाते हुए कहा।


"पापा, फिर स्कूल क्यों भेजते हो, वहां भी तो हमें कुछ भी नहीं सिखाते ढंग से!" अतुल ने जवाब में सवाल किया।

"किसने कहा तुमसे ऐसा?" वर्मा जी ग़ुस्से में बोले।

"ट्यूशन वाले सर ने ! दादा जी भी तो कहते हैं कि सालों ने बिज़नेस बना रखा है! क़िताबें थोप कर कोर्स रटाते रहते हैं, ढंग से कुछ अच्छा नहीं सिखाते!"

बेटे के जवाब से चौंकते हुए वर्मा जी ने कहा- "बेटा, बड़े होकर जब तू ख़ुद पैसे कमायेगा न, तो समझ जायेगा कि बिज़नेस तो हर कोई करता है, हर जगह, यहाँ तक कि रिश्तों में भी!"

[मौलिक व अप्रकाशित]

Views: 529

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 16, 2016 at 4:51am
मेरी इस नवीन रचना पर समय देकर अनुमोदन व स्नेहिल हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया मीना पाठक जी, मोहतरम जनाब डॉ. गोपाल नारायण श्रीवास्तव जी, जनाब अशोक कुमार रक्ताले जी, मोहतरम जनाब समर कबीर साहब, जनाब सुनील प्रसाद जी व जनाब लक्ष्मण रामानुज लडीवाला साहब।
Comment by Ashok Kumar Raktale on September 15, 2016 at 11:07pm

आदरणीय शैख़ शहज़ाद उस्मानी साहब सादर,बहुत अच्छी लघुकथा हुई है."बिज़नेस तो हर कोई करता है, हर जगह, यहाँ तक कि रिश्तों में भी!"......बिलकुल सटीक कहा है. बहुत बधाई. सादर.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2016 at 5:04pm

इस भौतिक युग में अब जीवन में सामाजिक सरोकार नहीं व्यापारिक सरोकार महत्वपूर्ण हो गया | सुंदर लघु कथा 

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on September 14, 2016 at 3:02pm
इस दौर में जिंदगी व्यापार बन चुकी है सही नब्ज पकड़ी है जनाब शेख साहब दिली दाद।
Comment by Meena Pathak on September 14, 2016 at 1:48pm

"बिज़नेस तो हर कोई करता है, हर जगह, यहाँ तक कि रिश्तों में भी!"............बहुत सुन्दर लघुकथा ..बधाई 


Comment by Samar kabeer on September 13, 2016 at 10:39pm
जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत ख़ूब वाह, कमाल की लघुकथा लिख दी आपने,दिल से ढेरों बधाई स्वीकार करें ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 13, 2016 at 8:33pm

बड़े होकर जब तू ख़ुद पैसे कमायेगा न, तो समझ जायेगा कि बिज़नेस तो हर कोई करता है, हर जगह, यहाँ तक कि रिश्तों में भी!"
वाह वह शेख  उस्मानी जी बहुत ही बेबाक तरीके से  एक सत्य का पर्दाफाश किया है .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service