For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

नींद रहने लगी हर घडी लापता (ग़ज़ल)

212 212 212 212

ज़िन्दगी से है यूँ ज़िन्दगी लापता
जैसे हो रात से चाँदनी लापता

चाँद है चाँदनी है सितारे भी हैं
रात से अब मगर रात ही लापता

इस तरफ उस तरफ हर तरफ भीड़ है
शह्र से है मगर आदमी लापता

मुझको मुझसे मिलकर गया था जो शख्स
बदनसीबी कि है अब वही लापता

चाँद-तारों से जा मिलते हैं हम तभी
खुद से हो जाते हैं जब कभी लापता

मेरी आँखों को इक ख़्वाब क्या मिल गया
नींद रहने लगी हर घड़ी लापता

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 565

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 6, 2016 at 10:08pm

वाह | बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई है | हार्दिक बधाई आदरणीय |

Comment by जयनित कुमार मेहता on September 26, 2016 at 4:32pm

आ. सुरेश जी, आ. शिज्जु जी, आ. प्राची जी, आ. गिरिराज भंडारी जी, आ. रामबली गुप्ता जी..आप सब का तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ। अपना स्नेह बनाएं रखें। सादर!

Comment by जयनित कुमार मेहता on September 26, 2016 at 4:29pm

आ समर कबीर जी, आ रवि शुक्ला जी, आपलोगों ने मेरी रचना पर उपस्थित होकर हौसला आफजाई की इसके लिए आपलोगों का हार्दिक धन्यवादी हूँ।

चौथे शेर के ऊला में दरअस्ल "मिलाकर" लफ्ज़ ग़लत टाइप हो गया है इसिलए लय बाधित हो रही है। सादर!

Comment by रामबली गुप्ता on September 22, 2016 at 5:01am
क्या बात है आद० जयनित भाई जी। बहुत ही सुंदर ग़ज़ल हुई है दिल से बधाई लीजिये।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 21, 2016 at 6:41pm

आ. जयनित भाई , अच्छी गज़ल हुई  है , हार्दिक बधाइयाँ । चौथे शेर का दूसरा रुक्न देखें फिर से ।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on September 21, 2016 at 4:46pm

बहुत मीठी ग़ज़ल 

सभी अशआर पसंद आये 

हार्दिक बधाई आ० जयनित जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 21, 2016 at 2:53pm

बहुत बहुत बधाई जयनित जी अच्छे अशआर हुए हैं चौथे शेर की तरफ आ.रवि शुक्ला जी तथा जनाब समर कबीर साहब बता ही चुके है

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 20, 2016 at 11:47am
चाँद है चाँदनी है सितारे भी हैं
रात से अब मगर रात ही लापता।
वाह्ह्ह आदरणीय जयनीत जी दिल को छू गई आपकी रचना। बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by Ravi Shukla on September 19, 2016 at 9:57pm
आदरणीय जयनित जी बढ़िया अशआर कहे है आपने बधाई हाजिर है आदरणीय समर साहब की बात पर ध्यान दीजिएगा । कुछ प्रिंट होने से भी रह् गया है जिससे लय् नहीं बन रही । सादर
Comment by Samar kabeer on September 19, 2016 at 4:47pm
जनाब जयनित कुमार मेहता जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
चौथे शैर का ऊला मिसरा लय में नहीं,देखियेगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service