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प्रकृति-दोहा छंद, शृंगारिक मत्त सवैया-रामबली गुप्ता

प्रकृति : दोहा छंद

सिंधु-शैल-सरि-नभ-धरा, तारक-रवि-सारंग।
पेड़-पुष्प-नर-जन्तु-खग, सभी प्रकृति के अंग।।

महकाते खिल के सुमन, प्रकृति-युवति के अंग।
स्वच्छ गगन तन-वसन को, देता स्यामल रंग।।

मृदा-वायु-जल-वृक्ष-वन, प्रकृति-दत्त सौगात।
युक्ति-युक्त दोहन करें, सुखी रहें दिन-रात।।

सखे! प्रकृति ने है दिया, संसाधन अनमोल।
सौम्य-सरल दोहन करें, सुख के पट लें खोल।।

मृदा मृदुल-जल वायु को, सखे! सहेजें नित्य।
धरा प्रदूषण मुक्त हो, करिये ऐसे कृत्य।।

मत्त सवैया छंद

बन के रजनीगंधा-जूही,
तुम चली झूम किस ओर प्रिये!

मुख-चन्द्र छिपा घन-कुंतल में,
बंकिम नयनों से घात किये।

तन-यौवन ज्यों नव-पुष्प खिला,
भर-भर गगरी मकरंद लिये।

रसपान बिना मधु-अधरों का,
यह भ्रमर कहो किस भाँति जिये।।

रचना-रामबली गुप्ता
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by रामबली गुप्ता on September 23, 2016 at 5:53am
आद0 सौरभ सर , कोई बाध्यता नही थी, छोटी-छोटी रचनाएँ थी इसलिए एक साथ पोस्ट कर दिया। यदि ऐसा कुछ गड़बड़ है तो आगे के पोस्टों में ध्यान रखूँगा।
रचनाओं के बारे में तो आपने कुछ लिखा ही नही यदि कोई त्रुटि हो तो कृपया संशोधन सुझाएं( मने हमरी कॉपी जांच लें प्लीज़) मुझे आपके कमेंट्स की खास प्रतीक्षा रहती है। सानुरोध

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 22, 2016 at 11:38pm

दो भिन्न छंदों की रचनाओं को एक साथ प्रस्तुत करने की बाध्यता समझ में नहीं आयी. 

Comment by रामबली गुप्ता on September 22, 2016 at 4:28am
आद० भाई सतविंदर जी रचना पर प्रतिक्रिया एवं सराहना के लिए आपका बहुत बहुत आभार
Comment by रामबली गुप्ता on September 22, 2016 at 4:26am
आद० सुशील सरना भाई जी रचना पसंद करने के लिए आपका बहुत बहुत आभार
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 21, 2016 at 10:43pm
आदरणीय राम बली भाई,मनहरण रचना कर्म,जय जय
Comment by रामबली गुप्ता on September 21, 2016 at 9:20pm
आद०सुरेश कुमार भाई जी सराहना के लिए आपका हृदय से आभार
Comment by रामबली गुप्ता on September 21, 2016 at 9:18pm
आद० गोपाल नारायन जी आपके प्रोत्साहन एवं सुझावों से रचनाकर्म को निश्चय ही बल मिलता है इसके लिए हृदय से आभार
Comment by रामबली गुप्ता on September 21, 2016 at 9:15pm
आद० श्याम नारायण भाई जी सराहना के लिए आपका बहुत बहुत आभार
Comment by रामबली गुप्ता on September 21, 2016 at 9:13pm
आद० गुरुदेव आपका हृदय से आभार
Comment by रामबली गुप्ता on September 21, 2016 at 9:11pm
आदरणीय शिज्जु शकूर भाई जी रचना पर प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदय से आभार

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