For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

श्रद्धा और श्राद्ध/सतविन्द्र कुमार राणा

आस्थाओं का ढोल बजा है

श्रद्धा का बाजार सजा है

विश्वासों की लगती बोली

मानवता को मारो गोली।


मैं बिकता हूँ तू बिकता है

अब बिकता ईश्वर दिखता है

मान बड़ों का कब होता है

श्रद्धा का मतलब खोता है।


श्रद्धा आडम्बर  बन जाती

जब दुनिया पाखण्ड दिखाती

जीते जी टुकड़ों को तरसे

फिर भोजन कागों पर बरसे।


श्रद्धा से अपनों को मानों

कीमत जीते जी की जानों

करें गमन दुनिया से जब वे

बोझ नहीं लें दिल पर तब वे।


भूल झूठ को पूरा जाना

सच का ही बस ध्यान लगाना

नहीं कहीं फिर मन विचलाना

यह श्रद्धा है हमने जाना।


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 482

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on October 20, 2016 at 11:55am
आभार आदरणीया कल्पना दीदी।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 6, 2016 at 9:50pm

अच्छी रचना है आदरणीय सतविन्द्र भैया  |

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 27, 2016 at 1:02pm
आभार आदरणीय सुरेश भाई जी!
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 27, 2016 at 9:09am
यथार्थ को दर्शाती सुन्दर एवं सटीक सारगर्भित रचना के लिए हार्दिक बधाई प्रेषित है आदरणीय सतविंदर भाई जी।सादर ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 26, 2016 at 5:29pm
आदरणीय शिज्जु शकूर जी प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत आत्मीय आभार।सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 26, 2016 at 5:28pm
आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी अनुमोदन एवं प्रोत्साहन के लिए तहेदिल शुक्रिया।सादर नमन

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 26, 2016 at 3:46pm

अच्छी रचना हुई है आ. सतविन्दर कुमार जी बहुत बहुत बधाई

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 26, 2016 at 3:32pm
बहुत बढ़िया कड़वी सच्चाई व्यक्त करती प्रेरक रचना के लिए बहुत बहुत हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ आदरणीय सतविंदर कुमार राणा जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई चेतन जी , सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "टपकती छत हमें तो याद आयी"…"
3 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उदाहरण ग़ज़ल के मतले को देखें मुझे इन छतरियों से याद आयातुम्हें कुछ बारिशों से याद आया। स्पष्ट दिख…"
5 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 minutes ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"सहमत"
16 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ.भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। गुणीजनो के सुझावों से यह और निखर गयी है। हार्दिक…"
34 minutes ago
Gurpreet Singh jammu replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"मुशायरे की अच्छी शुरुआत करने के लिए बहुत बधाई आदरणीय जयहिंद रामपुरी जी। बदलना ज़िन्दगी की है…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी, पोस्ट पर आने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
12 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
13 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
15 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
15 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service