For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शरारत कर वो तेरा मुँह बनाना याद आता है(ग़ज़ल)/सतविन्द्र कुमार राणा

बह्र:1222 1222 1222 1222
शरारत कर वो तेरा मुँह बनाना याद आता है
कि पहले रूठना फिर मान जाना याद आता है।

तुम्हारी प्यार की बोली ने मिश्री कान में घोली
कभी झूठे से झगड़े से सताना याद आता है।

बिताया हम कभी करते तुम्हारे साथ जो लमहेे
उन्हीं में गूँजता दिल का तराना याद आता है।

हुआ करते कभी हम भी अगर गमगीन थोड़े से
कि कर नादानियां हमको हँसाना याद आता है।

हमेशा ही हुआ करता हमारे पास आने का
तुम्हारा वो सही बनता बहाना याद आता है।

कि हम तो मर मिटे जाते तुम्हारे इश्क में जालिम
हमें मँझधार में ही छोड़ जाना याद आता है।

चले थे इश्क गर्दी में भुला दुनिया को तुम ‘राणा’
पड़ी दिल पर अगर ठोकर जमाना याद आता है।


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 703

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 26, 2016 at 9:43am
आदरणीय डॉ विजय शंकर जी प्रोतसाहन के लिए तहे दिल आभार।सादर नमन
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 26, 2016 at 9:41am
आदरणीय समर कबीर जी सादर नमन!हौंसलाफ़ज़ाई के लिए सादर आत्मीय आभार।आदरणीय आपने दुरुस्त फ़रमाया।तुम्हारा और तेरे को लेकर मुझे भी संशय था।आपके मार्गदर्शन के लिए भी तहेदिल शुक्रिया।मैं इसे दुरुस्त करने का प्रयास करता हूँ।सादर।
Comment by Dr. Vijai Shanker on September 26, 2016 at 3:17am
वाह ! आदरणीय सतविंद्र कुमार जी , बहुत सुन्दर , बधाई, सादर।
Comment by Samar kabeer on September 25, 2016 at 11:21pm
जनाब सतविंदर कुमार राणा जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल कही आपने,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फ़रमाऐं ।

"कि हम तो मर मिटे जाते तुम्हारे इश्क में जालिम
हमें मँझधार तेरा छोड़ जाना याद आता है"

इस शैर में शुतरगुर्बा का दोष है,देखियेगा ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 25, 2016 at 11:11pm
आदरणीय कृष्ण गोपाल जी सादर हार्दिक आभार सँग नमन।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 25, 2016 at 7:56pm

बढ़िया है सतविंदर भाई

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 24, 2016 at 1:46pm
आभार आदरणीय आशीष ठाकुर जी।
Comment by आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला' on September 24, 2016 at 10:29am

सुन्दर रचना के लिये हार्दिक बधाई  !!! आ. सतविंद्र कुमार जी!!

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on September 24, 2016 at 7:12am
अनुमोदन एवं प्रोत्साहन के लिए तहे दिल शुक्रिया आदरणीय सुजान सिंह जी।
Comment by सूबे सिंह सुजान on September 23, 2016 at 10:47pm
वाह वाह बहुत सुंदर ग़ज़ल पेश की है ।
बधाई बधाई

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service