For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गजल(लूट का धंधा.....)

2122 2122 2122 212
लूट का धंधा करें जो वे सभी रहबर हुए
जिंस कुछ जिनकी नहीं है आज सौदागर हुए।1

आशियाने जल रहे सब हो रहे बेघर यहाँ,
अब परिंदे क्या उड़ेंगे लग रहा बेपर हुए।2

मिल रही बहकी हवा कातिल बवंडर से अभी,
खरखराते पात सब हर डाल पर अजगर हुए।3

घुल रहा कैसा जहर गमगीन लगती है फिजा,
शब्द वैसे ही धरे हैं अर्थमय आखर हुए।4

है वही अपना गगन भरता गया काला धुआँ,
पूछते पंछी विकल हालात क्यूँ बदतर हुए।5

पत्थरों को फाड़ कर भगवान आते थे कभी,
क्या करेंगे आजकल तो लोग ही पत्थर हुए।6

सो गये, सोना उठाकर ले गये सब मसखरे,
कोयले की लूट में काले हमारे कर हुए।7
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 527

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on October 13, 2016 at 9:39pm
आभार आपका आदरणीय
Comment by vijay nikore on October 13, 2016 at 3:21pm

अच्छी गज़ल के लिए बधाई।

Comment by Manan Kumar singh on October 13, 2016 at 6:55am
जरूरी परिमार्जन के बाद गजल! आभार!
Comment by Manan Kumar singh on October 12, 2016 at 4:25pm
आदरणीय रविजी आभार आपका,आदरणीय समर जी की सलाह ध्यान में है।
Comment by Manan Kumar singh on October 12, 2016 at 4:24pm
आदरणीय सुरेश जी,आभार आपका।
Comment by Manan Kumar singh on October 12, 2016 at 4:23pm
आभार आदरणीय समर जी,आदाब!
Comment by Ravi Shukla on October 12, 2016 at 3:35pm

आदरणीय मनन कुमार सिंह जी गजल के लिये बधाई स्‍वीकार करें तीसरे और चौथे शेर के सानी में आदरणीय समर साहब के मश्‍वरे पर ध्‍यान दीजियेगा आखिरी शेर का भाव भी कुछ और स्‍प्‍ष्‍ट हो सकता है । 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 11, 2016 at 11:06am
आदरणीय श्री मनन कुमार जी बहुत ही सुन्दर रचना है । बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by Samar kabeer on October 10, 2016 at 8:39pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
तीसरे और चौथे शैर के सानी मिसरे लय में नहीं हैं,देखिएगा ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service