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दर्द से आज तक हो नावाकिफ,
यार! तुम से न शायरी होगीI
.
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
अदरणीय योगराज जी बहुत बढि़या गजल कही है आपने शेर दर शेर दाद कुबूल करें काफी अंतराल से आपका कलाम पढ़ने को मिला
इस शेर ने विशेष प्रभावित किया
शर्म से लाल हो गया पीपल,
बेल कोई लिपट गई होगीI वाह वाह । बधाई आपको इस सुन्दर गजल केे लिये
आज तक भी है अनगढ़ा पत्थर
जिसको छैनी बुरी लगी होगी
अच्छा संदेश है। बिना कष्ट सहे जीवन गढ़ नही सकता । बधाई आपको ।
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