१२२२ १२२२ १२२
इन आँखों में जो सपने रह गये हैं
बहुत ज़िद्दी, मगर ग़मख़ोर-से हैं
अमावस को कहेंगे आप भी क्या
अगर सम्मान में दीपक जले हैं
अँधेरों से भरी धारावियों में
कहें किससे ये मौसम दीप के हैं
प्रजातंत्री-गणित के सूत्र सारे
अमीरों के बनाये क़ायदे हैं
उन्हें शुभ-शुभ कहा चिडिया ने फिर से
तभी बन्दर यहाँ के चिढ़ गये हैं
उमस बेसाख़्ता हो, बंद कमरे-
कई लोगों को फिर भी जँच रहे हैं
करेगा कौन मन की बात, अम्मा !
सभी टीवी, मुबाइल में लगे हैं
सड़क पर शोर से कब है शिकायत,
चढ़ी नज़रें मुखर आवाज़ पे हैं !
नयी फुनगी दिखी है फिर तने पर
बया की चोंच में तिनके दिखे हैं
*****************
(मौलिक और अप्रकाशित)
Comment
अँधेरों से भरी धारावियों में
कहें किससे ये मौसम दीप के हैं -------वाह्ह्ह्हह
नयी फुनगी दिखी है फिर तने पर
बया की चोंच में तिनके दिखे हैं ----शानदार
बहुत बढिया ग़ज़ल हुई आद० सौरभ जी सभी शेर सामयिक हुए एक से बढ़कर एक हैं दिल से बधाई लीजिये
आपके खयाल और अभिव्यक्ति .. दोनों ही लाजवाब हैं। आनन्द आया आपकी रचना को पढ़ कर।
रचना को अनुमोदित करने केलिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी.
मोहतरम जनाब सौरभ साहिब, बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं --
आदरणीय गोपाल नारायनजी, आपसे मिला अनुमोदन आश्वस्तिकारी है. कुछ असहज दिखे तो बताने में ग़ुरेज़ न कीजियेगा.
सादर धन्यवाद.
आदरणीय सुनील प्रसाद शहाबादी जी, आपको ग़ज़ल पसंद आयी तो लिखना सार्थक हुआ. हार्दिक धन्यवाद
आ० सौरभ जी . जितना सुन्दर मतला वैसा ही लाजवाब आख़िरी शेर . पूरी गजल शेर दर शेर नवीनता से लबरेज है . प्रणाम आदरणीय .
आदरणीय बासुदेव अग्रवाल ’नमन’ जी, आपकी सदाशयता और संवेदनशीलता से हम वाकिफ़ हैं. आपका सहयोग बना रहे आदरणीय.
इस प्रस्तुति पर आपने समय दिया, आवश्यक प्रतिक्रिया दी, इस हेतु सादर धन्यवाद..
आदरणीय सौरभ जी बहुत ही गहरी सोच की ग़ज़ल कही है।
सड़क पर शोर से कब है शिकायत,
चढ़ी नज़रें मुखर आवाज़ पे हैं ! विरोध आजकल किसे बर्दास्त है। केवल वाह!!
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online