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अम्मा आयी है......

नाती नातिन से मिलने को अम्मा आयी है|
बड़े दिनों के बाद मेरे घर अम्मा आयी है||

बच्चों से छुप छुप कर सुरती पान चबाती है|
पान का डिब्बा और तम्बाखू अम्मा लायी है||

मेरे घर का पानी भी मुश्किल से पीती है|
एक कनस्तर लड्डू मट्ठी अम्मा लायी है||

दिखे जमाई घर के अन्दर झट छुप जाती है|
शर्मो हया का संग पिटारा अम्मा लायी है||

इस दुनिया की है या फिर उस दुनिया की है|
भर कर देसी घी के पीपे अम्मा लायी है||

मुझे बिठा कर बिस्तर में खुद, ‘‘मैं’’ बन जाती हैं|
चार नौकरों जैसी ताकत अम्मा लायी है||

ऐसी अम्मा सबको देना मेरी इच्छा है|
प्रभु भजन की ढेर किताबें अम्मा लायी है||

.............................................................................................आभा

....अप्रकाशित एवं मौलिक 

.

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Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on October 25, 2016 at 7:51am
बहुत खूबसूरत भाव और विषय के साथ आई इस कविता के लिए आपको हार्दिक बधाई आदरेया आभा सक्सेना जी अगर पदांत के साथ समांत भी होता तो रचना में चार चाँद लग जाते सादर।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 24, 2016 at 3:16pm
हर पाठक को भाव-विभोर कर सुंदर अतीत का पर्यटन कराती बेहतरीन प्रस्तुति के लिए सादर हार्दिक बधाई आपको आदरणीया आभा सक्सेना जी। यथार्थ भी है, तीखा कटाक्ष भी। भाव भी हैं, ढेर सारे सुझाव भी ... कहे व अनकहे में .. ! वाह ...
Comment by Samar kabeer on October 24, 2016 at 1:49pm
मोहतरमा आभा सक्सेना जी आदाब,बढ़िया कविता,बधाई स्वीकार करें ।

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