For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ट्राफ़िक पुलिस को देख उसे आईडिया आया । उसने झट अपनी बाईक किनारे लगाई, हेलमेट सिर से उतारकर बाईक के पीछे लटकाया । उस नोट बंदी के मारे ने, धड़धड़ाते हुये बाईक लेजाकर इन्स्पेक्टर के सामने रोकी ।

“सर, मेरा चालान काटिये मै हेल्मेट नही पहना हूं ।“ वह बोला ।

इन्स्पेक्टर ने उसे ऊपर से नीचे तक देखा । पूछा – “दो सौ रुपये छुट्टे है ?”

उसने इन्कार मे सर हिलाया ।

“ठीक है, जब छुट्टे होंगे तब आना ।“ इन्स्पेक्टर ने कहा ।

“सर, आज ही …”

“ऐसा है बेटा । अपना हेल्मेट सिर पे रख और पतली गली पकड़ । वर्ना ऐसा चालान काटूंगा कि ज़िंदगी भर चालान भरता रहेगा । सरकार ने पांच-पांच सौ के छुट्टे देने के लिये वर्दी दी है क्या ?”

बेचारा यहां से भी मायूस होकर चला गया । इन्स्पेक्टर बड़बड़ाता रहा- “क्या ज़माना आगया देखो… गंगा उल्टी बहने लगी है…”

    (मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 508

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on September 15, 2018 at 3:27am

 बेहतरीन प्रवाहमय, यथार्थपूर्ण, कटाक्षपूर्ण सृजन।  हार्दिक बधाई मुहतरम जनाब मिर्ज़ा ह़ाफ़िज़ बेग  साहिब।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 24, 2016 at 1:34pm

बहुत खूब ! प्रसन्न कर दिया आपने आदरणीय मिर्ज़ा हाफ़िज़ बेग़ साहब ! इस प्रवहमान प्रस्तुति पर आपको दिल से दाद दे रहा हूँ ..

शुभ-शुभ

Comment by नाथ सोनांचली on November 23, 2016 at 2:27pm
बेहतरीन कटाक्ष लिए उत्तम लघु कथा, बहुत खूब ।जनाब मिर्ज़ा हाफ़िज़ बेग जी सादर अब्गिवादन और उम्दा लघु कथा के लिए मेरी दिली बधाई निवेदित है।
Comment by Mirza Hafiz Baig on November 23, 2016 at 2:05pm

मुहतरम जनाब समर कबीर साहब, आदाब । आपकी नवाज़िश बहुत मायने रखती है । सच है कि यह लघुकथा हालात-ए-हाजरा पर है । लेकिन पता न था इस हालात-ए-हाजरा की हद इतनी मौख्तसर होगी आज ही देखा, हेलमेट का चालान 200 से 500 होगया है । छुट्टे की छुट्टी …

Comment by Samar kabeer on November 22, 2016 at 9:49pm
जनाब मिर्ज़ा हफ़ीज़ बैग साहिब आदाब, हालात-ए-हाज़रा पर बहतरीन तंज़ है, अच्छी लगी आपकी लघुकथा,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सादर प्रणाम, आदरणीय ।"
2 hours ago
रक्षिता सिंह replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"सुन, ससुराल में किसी से दब के रहने की कोई ज़रूरत नहीं है। अरे भाई, हमने कोई फ्री में सादी थोड़ी की…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
8 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-123 (जय/पराजय)
"स्वागतम"
20 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र जी, हृदय से आभारी हूं आपकी भावना के प्रति। बस एक छोटा सा प्रयास भर है शेर के कुछ…"
20 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"इस कठिन ज़मीन पर अच्छे अशआर निकाले सर आपने। मैं तो केवल चार शेर ही कह पाया हूँ अब तक। पर मश्क़ अच्छी…"
21 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय गजेंद्र ji कृपया देखिएगा सादर  मिटेगा जुदाई का डर धीरे धीरे मुहब्बत का होगा असर धीरे…"
22 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"चेतन प्रकाश जी, हृदय से आभारी हूं।  साप्ताहिक हिंदुस्तान में कोई और तिलक राज कपूर रहे होंगे।…"
22 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"धन्यवाद आदरणीय धामी जी। इस शेर में एक अन्य संदेश भी छुपा हुआ पाएंगे सांसारिकता से बाहर निकलने…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आदरणीय,  विद्यार्जन करते समय, "साप्ताहिक हिन्दुस्तान" नामक पत्रिका मैं आपकी कई ग़ज़ल…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"वज़न घट रहा है, मज़ा आ रहा है कतर ले मगर पर कतर धीरे धीरे। आ. भाई तिलकराज जी, बेहतरीन गजल हुई है।…"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service