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घूंघट की ओट में .....

घूंघट की ओट में .....

खो गयी
एक गुड़िया
घूंघट की ओट में


बन गयी
वो एक दुल्हन
घूंघट की ओट में


ख़्वाबों का
शृंगार हुआ
घूंघट की ओट में


थम थम के
छुअन बढ़ी
घूंघट की ओट में


सब कुछ
मिला उसे
घूंघट की ओट में


बस
मिल न पाया
उसे एक दिल
घूंघट की ओट में

सुशील सरना

मौलिक एवम अप्रकाशित 

Views: 736

Comment

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Comment by Sushil Sarna on December 6, 2016 at 4:03pm
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज लडीवाला जी प्रस्तुति आपके आत्मीय आशीर्वाद से उपकृत हुई। हार्दिक हार्दिक आभार। पिछले ६-७ दिनों से नेट काम नहीं कर रहा था सो आभार व्यक्त करने में विलम्ब हुआ। इस हेतु क्षमा प्रार्थी हूँ।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 1, 2016 at 4:29pm

सब कुछ 
मिला उसे 
घूंघट की ओट में


बस 
मिल न पाया 
उसे एक दिल 
घूंघट की ओट में | - बहुत सुंदर कह दिया आपने घूँघट की ओट में | हार्दिक बधाई श्री सुशील सरना जी 

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2016 at 8:09pm

आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी प्रस्तुति में निहित भावों को अपनी मधुर प्रशंसा से मान देने का  हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2016 at 8:08pm

आदरणीय विजय निकोर जी प्रस्तुति में निहित भावों को अपनी मधुर प्रशंसा से अलंकृत करने का हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2016 at 8:07pm

आदरणीय डॉ. गोपाल जी भाई साहिब प्रस्तुति को अपनी आत्मीय प्रशंसा से अलंकृत  करने का हार्दिक हार्दिक आभार। 

Comment by Sushil Sarna on November 28, 2016 at 8:06pm

आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति को अपनी आत्मीय प्रशंसा से पुरस्कृत करने का हार्दिक हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 28, 2016 at 7:34pm

आदरणीय सुशील भाई , बहुत सुन्दर ! अच्छी लगी आपकी कविता , हार्दिक बधाइयाँ ।

Comment by vijay nikore on November 28, 2016 at 8:08am

बहुत ही सुन्दर भाव हैं। हार्दिक बधाई।

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on November 26, 2016 at 5:14pm

कह गये

क्या बात  आप   

घूँघट की ओट  में

Comment by Samar kabeer on November 26, 2016 at 10:12am
जनाब सुशील सरना जी आदाब,'बस एक दिल न मिल पाया उसे घूँघट की ओट में'वाह बहुत ख़ूब बहुत सुंदर कविता लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।

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