For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल (हमें गुज़रा ज़माना याद आया ) -----------------------------------------------


ग़ज़ल (हमें गुज़रा ज़माना याद आया )
-----------------------------------------------
मफाईलुन---मफाईलुन---- फऊलन

मुहब्बत का फसाना याद आया |
हमें गुज़रा ज़माना याद आया |

बनी है जान की दुश्मन शबे गम
कोई साथी पुराना याद आया |

शबे गम चैन भी आएगा कैसे
वो फिर ज़ालिम यगाना याद आया |

न जब इज़्ज़त मिली परदेस जा कर
वतन का आब दाना याद आया |

मिलीं जब ठोकरें हर एक दर से
मुझे उनका ठिकाना याद आया |

बड़ी मुश्किल से तन्हाई मिली है
उन्हें घर का बहाना याद आया |

यूँ ही तस्दीक़ मैं खोया नहीं हूँ
किसी का मुझको गाना याद आया |

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 586

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 17, 2016 at 8:21pm

जनाब आशुतोष साहिब ,  ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया ---

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 16, 2016 at 11:19pm
आदरणीय तस्दीक़ जी इस उम्दा ग़ज़ल के लिये हार्दिक बधाई सादर
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 15, 2016 at 7:43pm

जनाब सुरेंद्र नाथ साहिब , ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया --

Comment by नाथ सोनांचली on December 15, 2016 at 3:02am
आदरणीय तस्दीक जी सादर अभिवादन, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने। हार्दिक बधाई।
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 14, 2016 at 8:18pm

मुहतरम जनाब  रवि   साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ---

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 14, 2016 at 8:17pm

मुहतरम जनाब  महेंद्र कुमार  साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ---

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 14, 2016 at 8:17pm

मुहतरम जनाब मिथिलेश साहिब , ग़ज़ल में आपकी शिरकत और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ---

Comment by Ravi Shukla on December 14, 2016 at 1:41pm

आदरणीय तस्दीक जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने। हार्दिक बधाई।

Comment by Mahendra Kumar on December 14, 2016 at 9:52am
बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही आपने आदरणीय तस्दीक़ जी। मेरी तरफ से हार्दिक ढेर सारी बधाई। सादर।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 14, 2016 at 12:51am

आदरणीय तस्दीक जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. दाद और मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Jul 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service